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शरीर के प्रति मोह, आसक्ति का अभाव स्वतः हो जाता है, उससे काय त्याग सिद्ध होता है । जैसे- प्रियतमा पत्नी से कुछ अपराध हो जाने पर, पति के साथ एक ही घर में रहते हुए भी, पति के प्रेमाभाव के कारण वह त्यागी हुई कही जाती है, इसी प्रकार से मरण के बिना काय का त्याग समझना ।
भ.आ./वि./116/278/13 प्र.1272 श्वासोश्वास प्रमाण कायोत्सर्ग करने से क्या फल मिलता है ? उ. 1. शुद्ध भाव से श्वासोश्वास प्रमाण का कायोत्सर्ग करने वाला आत्मा
245408 पल्योपम से कुछ अधिक देवलोक के आयुष्य का बन्ध
करता है। 2. आठ श्वासोश्वास प्रमाण अर्थात् 1 नवकार का कायोत्सर्ग ध्यान करने
से 1963267 पल्योपम का देवायुष्य का बंध करता है । 3. 25 श्वासोश्वास यानि 'चंदेसु निम्मलयरा' तक लोगस्स का कायोत्सर्ग
ध्यान करने वाली आत्मा 6135210 पल्योपम का देवायुष्य का बंधन
करता है। प्र.1273 कुस्वप्न (कुसमिण) और दुःस्वप्न (दुसमिण) से क्या तात्पर्य
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उ. . 'रागादि मया स्वपना कुस्वप्ना' अर्थात् रागादि सम्बन्धित स्वप्न ... कुस्वप्न कहलाता है।
'द्वेषादि मया स्वपना दुःस्वप्ना' अर्थात् द्वेषादि से सम्बन्धित स्वप्न दुःस्वप्न कहलाता है।
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चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी
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