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प्र.1228 बैठे-बैठे कायोत्सर्ग कैसे किया जाता है ? 3.36 पद्मासन या सुखासन में बैठकर हाथों को घुटनों पर या बायीं हथेली
पर दायीं हथेली स्थापित कर उन्हें अंक में रखकर किया जाता है । प्र.1229 लेटी मुद्रा (सोते हुए) में कायोत्सर्ग कैसे किया जाता है ? उ. सिर से लेकर पाँव तक के अवयवों को पहले तान कर स्थिर करें ।
फिर हाथ-पैर को आपस में नही सटाते हुए शरीर के समस्त अंगों को स्थिर और शिथिल रखकर कायोत्सर्ग किया जाता है।
योगशास्त्र 3, पत्र 250 प्र.1230 भद्रबाहुस्वामी के अनुसार कायोत्सर्ग से क्या लाभ होता है ? उ. देह मइ जड्डसुद्धि, सुहदुक्खतितिक्खया अणुप्पेहा ।
झाइय य सुहं झाणं, एगग्गो काउस्सग्गामि ॥ कायोत्सर्ग शतक गाथा 13 मणसो एगग्गत्तं जणयइ, देहस्स हणइ जड्डत्तं काउस्सग्गगुणा खलु, सुहदुह मज्झत्था चेव ॥
व्यवहार भाष्य पीठिका गाथा 125 1. देह जाड्य बुद्धि - श्लेष्म आदि के द्वारा देह में जड़ता आती है।
कायोत्सर्ग से श्लेष्म आदि दोषो के नष्ट होने से शरीर में उत्पन्न
होने वाली जड़ता समाप्त हो जाती है। 2. मति जाड्य बुद्धि - कायोत्सर्ग ध्यान से चित्त की चंचलता कम
होने से मन की एकाग्रता बढती है । एकाग्रता के फलस्वरुप बुद्धि - तीक्ष्ण होती है। 3. सुख-दुःख तितिक्षा - कायोत्सर्ग से सुख-दुःख को सहन करने
की अपूर्व क्षमता प्राप्त होती है।
चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी
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