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उ. परमात्मा ऋषभदेव, नेमीनाथ और महावीर स्वामी पर्यंक संस्थान में मोक्ष
गये शेष परमात्मा कायोत्सर्ग संस्थान में मोक्ष गये । प्र.477 क्या सभी सिद्धात्माएँ इन दो आसन में ही मोक्ष जाते है ? उ. नहीं, केवल तीर्थंकर परमात्मा ही खड्गासन (कायोत्सर्ग मुद्रा) और
पर्यंकासन में निर्वाण जाते है, अन्य समस्त सिद्ध आत्माएँ किसी भी अन्य
आसन (मुद्रा, संस्थान) में मोक्ष जा सकते है । प्र.478 पर्यंकासन व पद्मासन में क्या अन्तर है ? उ. दायीं जंघा व साथल के मध्य में बायाँ पैर स्थापित करना, बायीं जंघा व .
साथल के मध्य में दायाँ पैर स्थापित करना और नाभि के पास बायें हाथ की हथेली दायें हाथ की हथेली के ऊपर रखना, पर्यंकासन कहलाता है। पर्यंकासन में नाभि के पास बायें हाथ की हथेली दायें हाथ की हथेली के ऊपर होती है, जबकि पद्मासन में ऐसा नही होता । शेष मुद्रा पर्यंकासन
के समान होती है। • प्र.479 परमात्मा की जन्मादि अवस्था का चिंतन क्यों करना चाहिए ? उ. परमात्मा के जीवन से सम्बन्धित समस्त अवस्थाएँ द्रव्य निक्षेप की अपेक्षा
से पूजनीय है । इसलिए च्यवन से लेकर परमात्मा की सिद्धावस्था का ... चिंतन किया जाता है। प्र.480 जिनेश्वर परमात्मा की प्रतिमा के परिकर में अष्ट प्रातिहार्य का
निर्माण क्यों किया जाता है ? . उ. अवस्था त्रिक भावना भाने के हेतु से किया जाता है।
चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी
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