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करना, ऐसा कैसे कहा जाएगा ? इसलिए मानना दुर्वार है । क्रिया के निवृत्ति काल में ही नही, क्रियाकाल में भी वह अवश्यकृत होता है अर्थात् जो क्रियमाण है, वह वहाँ क्रियाकाल में उतने अंश में कृत है। यहाँ 'ठामि काउस्सग्गं' कहने पर कायोत्सर्ग करने हेतु शरीर तैयार होता है, तब निश्चय नय की अपेक्षा से कायोत्सर्ग -क्रिया के अंश को लेकर कायोत्सर्ग क्रिया हुई ऐसा समझना चाहिए। अतः निश्चय नय की अपेक्षा
से 'ठामि काउस्सग्गं' कहना अनुचित नही है। प्र.1150 वेयावच्चगराणं का कायोत्सर्ग किस हेतु से किया जाता है ?
जिन शासन की सेवा-शुश्रुषा, रक्षा, प्रभावना करने वाले सम्यग्दृष्टि देवी-देवताओं के स्मरणार्थ और साथ ही उन देवताओं के मन में
वैयावच्च के भावों में अभिवृद्धि हो, इस हेतु से किया जाता है। प्र.1151 संतिगराणं का कायोत्सर्ग क्यों किया जाता है ? उ. सम्यग्दृष्टि देव क्षुद्रोपद्रव को शांत करने में सहायक होते है, इसलिए
उपकारी के उपकार के स्मरणार्थ संतिगराणं का कायोत्सर्ग किया जाता
प्र.1152 सम्मद्दिट्ठि समाहिगराणं का कायोत्सर्ग किस हेतु से किया जाता
उ. सम्यग्दृष्टि देव जो अन्य सम्यग्दृष्टि जीवों को समाधि पहुंचाने में
सहायक बनते है, इसलिए उनके स्मरणार्थ एवं उनके मन में समाधि
पहुंचाने के भावों की अभिवृद्धि हो, इस हेतु से किया जाता है । प्र.1153 वेयावच्चगराणं सूत्र के पश्चात् 'वंदणवतियाए' सूत्र नहीं बोलकर
सीधा अन्नत्थ सूत्र क्यों बोला जाता है ? ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी
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