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बीसवाँ कायोत्सर्ग द्वार प्र.1192 कायोत्सर्ग से क्या तात्पर्य है ?
कायोत्सर्ग- काय: + उत्सर्ग कायः - शरीर, उत्सर्ग - त्याग करना । स्थान, मौन, ध्यान के अतिरिक्त (श्वासोश्वास आदि क्रियाओं को छोडकर जब तक 'नमो अरिहंताण' बोलकर कायोत्सर्ग पूर्ण न करें तब तक) अन्य समस्त क्रियाओं का त्याग करना, कायोत्सर्ग है । काया की विस्मृति कर धर्मध्यान / शुक्लध्यान में मन को एकाग्र करना, कायोत्सर्ग
प्र.1193 कायोत्सर्ग का अपर नाम क्या है ? उ. व्युत्सर्ग है। प्र.1194 अनुयोग द्वार सूत्र में कायोत्सर्ग को क्या कहा गया है ? उ. अनुयोग द्वार में कायोत्सर्ग को 'व्रण चिकित्सा कहा गया है। प्र.1195 आचार्य जिनदासगणी महत्तर के अनुसार कायोत्सर्ग के प्रकार
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. बताइये।
3. 'सो पुण काउस्सग्गो दव्वतो भावतो य भवति ।' आवश्यक चूर्णि।
दो प्रकार- 1. द्रव्य कायोत्सर्ग 2. भाव कायोत्सर्ग । प्र.1196 द्रव्य कायोत्सर्ग किसे कहते है ? - उ. 'दव्वतो काय चेट्टा निरोहो' शारीरिक चेष्ठाओं का निरुन्धन करके, जिन
चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी ।
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