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खांसी, छींक, जम्भाई अल्प निमित्त आगार है । ये अत्यल्प वायु, क्षोभादि
के कारण उत्पन्न होते है। प्र.1181 बहु निमित्त आगंतुक आगार कौन से है ? उ. डकार, अधोवायु संचार, चकरी व पित्त विकार के कारण मुर्छा आना,
बहु निमित्त आगंतुक आगार है। प्र.1182 'उड्डुएणं....पित्तमुच्छाए' तक के आगारों को 'बहु निमित्त
__ आगंतुक' आगार नाम क्यों दिया है ? उ. डकार आदि का आना महाअजीर्ण जैसे बडे निमित्त के कारण होता है,
इसलिए इन्हें बहु निमित्त आगंतुक नाम दिया है। प्र.1183 नियोगज (नियम भावी) आगारों के नाम बताते हुए नाम की
सार्थकता को सिद्ध कीजिए ? | सुक्ष्म अंग संचार, सुक्ष्म कफ संचार और सुक्ष्म दृष्टि संचार, नियोगज आगार है। ये तीनों क्रियाएँ नियम से पुरुष (जीव) मात्र में होती ही है, इसलिए इन तीनों को नियोगज (नियम भावी) नाम से सम्बोधित
किया गया है। प्र.1184 बाह्य निमित्त से क्या तात्पर्य है ? उ. जो बाह्य निमित्त के कारण उत्पन्न होते है, उन्हें बाह्य निमित्त कहते है। प्र.1185 बाह्य निमित्त आगारों के नाम बताइये । उ. अगणि, बोहिय, डक्को, छिंदिज्ज और खोभाई बाह्य निमित्त आगार है। प्र.1186 'छिन्दन' शब्द का प्रयोग किस अर्थ में होता है और इसके
एकार्थक वाची शब्द बताइये । उ. 'छिन्दन' शब्द का प्रयोग आड़, व्यवधान के अर्थ में होता है ।
चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी · .
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