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के बाद, पुनः उन्हें महाव्रत देकर संघ में सम्मिलित किया । . प्र.1092 श्रद्धान प्रायश्चित्त किसे कहते है ? उ. जो साधु सम्यग्दर्शन को छोडकर मिथ्यामार्ग में प्रविष्ट हो गया है। उसको ।
पुनः दीक्षा रुप प्रायश्चित्त देना, श्रद्धान प्रायश्चित्त है। इसका दूसरा नाम'उपस्थापन' प्रायश्चित्त है। कहीं-कहीं पर महाव्रतों का मूलोच्छेद होने
पर पुनः दीक्षा देने को, उपस्थापन कहते है। ...अन.ध.7/57 प्र.1093 वर्तमान काल में दस प्रायश्चित्त में से कितने प्रायश्चित्त देने का
विधान है ? अनवस्थाप्य और पारांचित के अलावा शेष आठ प्रायश्चित्त देने का .
विधान है। प्र.1094 अनावस्थाप्य और पारांचित प्रायश्चित्त वर्तमान में क्यों नही दिया
जाता है ? अनावस्थाप्य और पारांचित प्रायश्चित्त चौदह पूर्वी और प्रथम संहनन वालों को ही दिया जाता है। वर्तमान काल में इस प्रकार की विशिष्ट शारीरिक क्षमता का अभाव है। इसलिए वर्तमान में दोनों प्रायश्चित्त का विच्छेद हो गया है । मूल प्रायश्चित्त पर्यंत आठ प्रायश्चित्त दुप्पहसूरी
तक रहेंगे। प्र.1095 कौन किस प्रायश्चित्त का अधिकारी है ? .
आचार्य - पारांचित प्रायश्चित्त पर्यंत अर्थात् समस्त दस प्रायश्चित्त का अधिकारी है। उपाध्याय - अनवस्थाप्य प्रायश्चित्त पर्यंत अर्थात् 1 से 9 प्रायश्चित्त का अधिकारी है।
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अट्ठारहवाँ हेतु द्वार
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