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6. रुंद्र देवताओं और क्षुद्र देवताओं के स्थान भी वर्ण्य हैं। . प्र.1097 अयोग्य काल व क्षेत्र आलोचनादि के लिए उपयुक्त क्यों नहीं है ? . उ. अयोग्य स्थान में आलोचना करने पर कार्य की सिद्धि नही होती हैं।
प्रशस्त स्थान व काल में ही कार्य निर्विघ्न सिद्ध होता है । प्र.1098 प्रायश्चित्त दाता में कौन से गुण होने चाहिए ? उ., प्रायश्चित्त दाता में निम्नोक्त दस गुण होने चाहिए-1. आचारवान्
2. आधारवान् 3. व्यवहारवान् 4. अपव्रीडक 5. प्रकुर्वक 6. अपरिस्रावी.
7. निर्यापक 8. अपायदर्शी 9. प्रियधर्मा 10. दृढधर्मा । प्र.1099 प्रायश्चित्त ग्राही कैसा होना चाहिए ?
प्रायश्चित्त ग्राही - 1. जाति सम्पन्न 2. कुल सम्पन्न 3. विनय सम्पन्न 4. ज्ञान सम्पन्न 5. दर्शन सम्पन्न 6. चारित्र सम्पन्न 7. क्षमावन्त 8. दान्त 9. अमायी 10. अपश्चातापी (प्रायश्चित्त ग्रहण करने के पश्चात् 'मैंने प्रायश्चित्त नहीं लिया होता तो अच्छा होता' ऐसा नहीं सोचने वाला), इन
· गुणों से युक्त होना चाहिए। प्र.1100 प्रायश्चित्त किन कारणों से दिया जाता है ? उ. प्रायश्चित्त - 1. दर्प 2. प्रमाद 3. अनाभोग 4. आतुर 5. आपत्ति
6.संकीर्ण 7. सहसाकार 8. भय 9. प्रद्वेष 10. विमर्श, इन कारणों से
दिया जाता है। प्र.1101 प्रायश्चित्त किसके लिए आवश्यक है ? उ. व्रत एवं आत्मा की शुद्धि के लिए प्रायश्चित्त आवश्यक है। प्र.1102 प्रायश्चित्त किस के अभाव में नही हो सकता है ? उ. प्रायश्चित्त आत्म विशुद्धि (भाव विशुद्धि) के अभाव में नही हो सकता ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++
अट्ठारहवाँ हेतु द्वार
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