________________
प्र.1089 प्रतिसेवना अनवस्थाप्य में क्या प्रायश्चित्त दिया जाता है ?
उ. साधर्मिक या अन्य धार्मिक की ताडना तर्जना एवं चोरी करने वाले को
जघन्यत: एक वर्ष और उत्कृष्ठतः बारह वर्ष तक दीक्षा नही दी जाती है।
प्र.1090 पारांचित प्रायश्चित्त किसे कहते है ?
उ. साध्वी, राजपत्नी का शील भंग करने अथवा मुनि / राजा आदि का वध करने अथवा दुसरा कोई महाउपघातक अपराध होने पर 12 वर्ष तक गच्छ से निष्कासित कर देने पर, साधु वेश का त्याग करके शासन की महान प्रभावना करके पुनः महाव्रत स्वीकार करके गच्छ में सम्मिलित होना, इसे पारांचित तप कहते है ।
प्र.1091 पू. सिद्धसेन दिवाकरसूरि म. को कौनसा प्रायश्चित्त और क्यों ( किस कारण से ) दिया था और उस अपराध का प्रायश्चित्त कैसे किया ?
उ.
-
पू. सिद्धसेन दिवाकरसूरिजी म. को पारांचित नामक प्रायश्चित्त, नवकार महामन्त्र का संस्कृत भाषा में संक्षिप्तिकरण ( नमोऽर्हत् सिद्धाचार्योपाध्याय सर्व साधुभ्यः) करने पर दिया गया । प्रायश्चित्त हेतु 12 वर्ष तक आपने गच्छ और वेश का त्याग कर स्थान-स्थान पर भ्रमण किया । कल्याण मंदिर स्तोत्र के मंत्राक्षर के प्रभाव से अति प्राचीन अवंति पार्शवनाथ परमात्मा की प्रतिमा जो शिवलिंग के नीचे छिपी हुई थी, उसे पुन: प्रकट किया। मंत्राक्षरों के प्रभाव से परमात्मा की प्रतिमा का प्रत्यक्ष प्रकटीकरण देखकर जनता जिनशासन के चरणों में नतमस्तक हुई । महाराज विक्रमादित्य को प्रतिबोधित कर जैन शासन की महती प्रभावना की । इस प्रकार से प्रायश्चित्त के दौरान जिनशासन की महती प्रभावना करने
•
चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
289
www.jainelibrary.org