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स्वप्नान्तिक प्रतिक्रमण। .
स्थानांग 6/537 प्र.731 उच्चार प्रतिक्रमण से क्या तात्पर्य है ? उ... विवेक पूर्वक पुरीष त्याग मल परठ कर आते समय मार्ग में गमनागमन
सम्बन्धित जो दोष लगते है उनका प्रतिक्रमण करना, उच्चार प्रतिक्रमण
कहलाता है। प्र.732 प्रस्रवण प्रतिक्रमण किसे कहते है ? उ. विवेक पूर्वक मूत्र परठने के पश्चात् ईया का प्रतिक्रमण करना, प्रस्रवण
प्रतिक्रमण कहलाता है। 1.33 इत्वर प्रतिक्रमण किसे कहते है ? ठ.. दैवसिक, रात्रिक आदि स्वअल्पकालीन प्रतिक्रमण, इत्वर प्रतिक्रमण
कहलाता है। 4.734 यावत्कथिक प्रतिक्रमण किसे कहते है ? 3. सम्पूर्ण जीवन के लिए पाप से निवृत होने का जो संकल्प किया जाता . . है, वह यावत्कथिक प्रतिक्रमण है । जैस-महाव्रत । 5.735 यत्किंचित् मिथ्या प्रतिक्रमण से क्या तात्पर्य है ? .. सावधानी पूर्वक जीवन व्यतीत करने पर भी प्रमादवश अथवा असावधानी
से किसी प्रकार का असंयम रुप आचरण होने पर, उसी क्षण उस भूल को स्वीकार करना और उसका प्रायश्चित्त करना, यत्किचित् मिथ्या
प्रतिक्रमण कहलाता है। 4.736 स्वप्नान्तिक प्रतिक्रमण किसे कहते है ? उ.. स्वप्न में कोई विकार-वासना-रुप कुस्वप्न देखने पर उसके सम्बन्ध में
पश्चाताप करना, स्वप्नान्तिक प्रतिक्रमण कहलाता है। ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी
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