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दो
उ. अरिहं यानि अरिहंत चेइयाणं, वंदण- वंदणवत्तियाए, सद्धा-सद्धाए,
अन्न-अन्नत्थ, सुहुम-सुहुमेहिं अंग संचालेहिं, एव -एवमाइएहि, जाव
जाव अरिहंताणं, ताव-ताव कायं । प्र.892 चैत्यस्तव सूत्र की संपदा के सहेतुक विशिष्ट नाम क्या है ? . उ. चैत्यस्तव की संपदा के सहेतुक नाम क्रमश: 1. अभ्युपगम संपदा.
2. निमित्त संपदा 3. हेतु संपदा 4. एक वचनान्त आगार संपदा . 5. बहुवचनान्त आगार संपदा 6. आगंतुक आगार संपदा 7. कायोत्सर्ग
अवधि संपदा 8. स्वरुप संपदा है। प्र.893 अभ्युपगम संपदा में कौन-कौनसे पद आते है ? उ. अभ्युपगम संपदा में 'अरिहंत चेइयाणं और करेमि काउस्सग्गं' नामक दो
पद आते है। प्र.894 अभ्युपगम संपदा से क्या तात्पर्य है ?
'अरिहंत चेइयाणं करेमि काउस्सग्ग' यह दो आद्य पदों वाली अभ्युपगम संपदा है। अभ्युपगम यानि स्वीकार करना । अरिहंत परमात्मा की प्रतिमा (चैत्य) के आलम्बन से कायोत्सर्ग करता हूँ । कायोत्सर्ग को स्वीकार
करना, अभ्युपगम संपदा है। प्र.895 निमित्त संपदा में कौन-कौनसे पदों का समावेश होता है ? उ. वंदण-वत्तियाए, पूअण-वत्तियाए, सक्कार-वत्तियाए, सम्माण-वत्तियाए,
बोहिलाभ-वत्तियाए और निरुवसग्ग-वत्तियाए, इन छ: पदों का समावेश
निमित्त संपदा में होता है। प्र.896 दुसरी संपदा का नाम निमित्त संपदा क्यों रखा है ? उ. 'वंदण वत्तियाए ........ निरुवसग्गवत्तियाए' इन छ: पद वाली संपदा +++++中+++++中+++++++++++++中++++++++++++++++
चैत्यस्तव की संपदा
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