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बोली जा सकती है ? उ. नही, ऐसा करने से अतिप्रसंग दोष लगता है । जैसे- श्रुतज्ञान के
कायोत्सर्ग में यदि स्तुति ध्रुव, अध्रुव या अनुशास्ति इन तीनों में से कोई
भी एक बोली जाए, तो अतिप्रसंग दोष लगता है। प्र.1040 चार स्तुति को चूलिका परिशिष्ट स्तुति क्यों कहा जाता है ? । उ. नमुत्थुणं, लोगस्स, पुक्खरवरदी और वेयावच्चगराणं नामक चार स्तुतियां .
कायोत्सर्ग सहित करने के पश्चात् अंत में प्रत्येक की काव्यात्मक स्तुतिः अलग से और कहने के कारण इन्हें चूलिका परिशिष्ट रुप स्तुति कहा
जाता है। .
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सोलहवाँ स्तुति द्वार
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