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प्र.790 नवकार मंत्र के अक्षरों के बारे में भद्रंकर विजयी म. क्या फरमाते
है? उ. भद्रंकर विजयजी म. ने अनुप्रेक्षा ग्रन्थ में बताया है1. नवकार में चौदह 'न' कार है जो चौदह पूर्व का ज्ञान कराते है और
नवकार चौदह पूर्व रुपी श्रुतज्ञान का सार है । 2. नवकार में बाहर 'अ' कार है, जो बारह अंगों का बोध कराते है। 3. नौ 'न' कार है, जो नौ विधानों को सुचित करते है। 4. पांच 'न' कार पांच ज्ञानों को, आठ 'स' कार आठ सिद्धों को,नौ 'म'
कार चार मङ्गल और पांच महाव्रतों को, तीन 'ल' कार तीन लोक को, सीन 'ह' कार आदि, मध्य और अंत मंगल को, दो 'च' कार देश व सर्वचारित्र को, दो 'क' कार दो प्रकार के घांती और अघाती कर्मों को, पांच 'प' कार पंच परमेष्ठि को, तीन 'र' कार (ज्ञान, दर्शन, चरित्र रुपी) तीन रत्नों को, दो 'य' कार (गुरू और परमगुरू) इस प्रकार दो प्रकार के गुरूओं को, दो 'ऐ' कार सप्तम स्वर होने से सात रज्जु उर्ध्व और सात रज्जु अधोलोक, ऐसे 14 राज लोक को
सुचित करता है। प्र.791 पंच परमेष्ठि के 35 अक्षर किसका ज्ञान कराते है ? उ... मूल मंत्र के चौबीस गुरू अक्षर चौबीस तीर्थंकर रुपी परम गुरूओं तथा
ग्यारह लघु अक्षर वर्तमान तीर्थाधिपति के ग्यारह गणधर भगवन्तों रुपी गुरूओं का ज्ञान कराने वाले है।
+++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी
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