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पाँव । कुल 3 प्रमार्जना ।
• (7-9) नीचे बैठते समय तीन बार भूमि प्रमार्जना । कुल 3 प्रमार्जना । - (10-11) दाहिने हाथ में मुँहपति लेकर ललाट (मस्तक) के दाहिनी तरफ से प्रमार्जना करते हुए सारा ललाट, सारा बायाँ हाथ तथा मीचे कोहणी तक, वहाँ से उसी प्रकार बायें हाथ में मुँहपति लेकर बायीं तरफ से प्रमार्जना करते हुए सारा ललाट, सारा दाहिना हाथ तथा नीचे कोहणी तक वहाँ से चरवले की डांडी को मुँहपति से प्रमार्जना करना । कुल 2. प्रमार्जना । * (12-14) तीन बार चरवले के गुच्छे (दशियों) का मुँहपति से प्रमार्जना करना। कुल 3. प्रमार्जनां
* (15-17) उठते समय तीन बार अवग्रह से बाहर निकलते हुए आसन पर पीछे प्रमार्जना करना ।
चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी
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