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प्र.641 प्रधान द्रव्य वंदना किसे कहते है ? उ. जो द्रव्य वंदना भविष्य में भाव वंदन का कारण बनती है, वह वंदना प्रधान
द्रव्य वंदना कहलाती है। प्र.642 अप्रधान द्रव्य वंदना किसे कहते है ? उ. जो द्रव्य वंदना भविष्य में भाव वंदन का कारण नही बनती है, वह वंदना
अप्रधान द्रव्य वंदना कहलाती है। प्र.643 चैत्यवंदन के अनाधिकारी कौन-कौन है ? उ. मार्गाभिमुख, मार्गपतित, सकृबंधक व मिथ्या दृष्टि जीव चैत्यवंदन के
अनाधिकारी होते है। प्र.644 उपरोक्त चारों प्रकार के जीवों को द्रव्यवंदन के अयोग्य क्यों
कहा? उ. वही द्रव्य वंदन, वंदन कहा जाता है जो भविष्य में भाव वंदन का कारण
बनने का सामर्थ्य रखता हो, जबकि इन चारों के वंदन में ऐसे सामर्थ्य का
अभाव होता है। प्र.645 द्रव्य वंदन के लक्षण बताइये ? उ. लिंगा ण तिए भावो, ण तयत्था लोयणं ण गुणरागो । ण विम्हाओ ण भव भयमियवच्चा सो य दोण्हं पि ॥
चैत्यवंदन पंचाशक 1. चैत्यवंदन में उपयोग का अभाव अर्थात् क्रिया उपयोग शून्य हो । 2. चैत्यवंदन सूत्रों के अर्थ, चिन्तन आदि का अभाव । 3. वंदनीय अरिहंत परमात्मा के गुणों के प्रति बहुमान, सत्कार-सम्मान
भावों का अभाव । ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++
पांचवा चैत्यवंदना द्वार
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