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सातवा नमस्कार द्वार प्र.669 नमस्कार किसे कहते है ? उ. गुण । भक्ति प्रशंसा से परिपूर्ण श्लोक द्वारा परमात्मा की स्तुति, स्तवना
करना, नमस्कार है। प्र.670 कितने व कैसे श्लोक के द्वारा हमें परमात्मा की स्तुति, स्तवना करनी
चाहिये ? उ. जघन्य से 1 व उत्कृष्ट 108 श्लोक के द्वारा हम परमात्मा को नमस्कार कर
सकते है । श्लोक-परमात्मा के गुण प्रशंसा से परिपूर्ण, भक्तिभाव से ओतप्रोत, गंभीर और प्रशस्त अर्थवाले व महापुरुष द्वारा रचित गुढार्थ होने चाहिये।
श्रृंगार रसादि से गर्भित और अनुचित अर्थवाले नही होने चाहिए। प्र.671'नमस्कार' शब्द का शब्दार्थ लिखिए ? ' उ. मन के द्वारा अर्हतादि पंच परमेष्ठी के गुणों का स्मरण करना, वचन के द्वारा
उनके गुणों का वर्णन करना और काया (शरीर) से उनके चरणों में नमस्कार करना, यह नमस्कार शब्द का अर्थ है।
भगवती आराधना / मूल / 754 / 918 पांच मुष्ठियों अर्थात् पांच अंगों से जिनेन्द्र देव के चरणों में नमनें को नमस्कार
कहते है। प्र.672 नमस्कार के आध्यात्मिक भेद बताइये ? उ. 'नमस्कारो द्विविधः द्रव्य नमस्कारो भाव नमस्कारः।' अर्थात् नमस्कार
दो प्रकार का होता है- 1. द्रव्य नमस्कार 2.भाव नमस्कार । 1. द्रव्य नमस्कार - जिनेश्वर परमात्मा को नमस्कार हो, ऐसा मुख से
धवला 8/3/42/7
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सातवाँ नमस्कार द्वार
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