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तत्त्व ने वंदन करवामां वांधो नथी । इस प्रश्नोत्तर से यह बात सर्वथा सिद्ध हो जाती है कि परमात्मा के सामने
भी दादा गुरूदेव की प्रतिमा को वंदनादि करने में कोई दोष नही है । प्र.440 जिन मंदिर जाने की विविध क्रिया से क्या फल मिलता है ? उ. पद्म चारित्रानुसार - मणसा होइ चउत्थं, छट्ठफलं उठ्ठि अस्स संभवइ ।
गमणस्स पयारंभे, होइ फलं अट्ठ मोवासो ॥ अर्थात् 1. जिनेश्वर परमात्मा के मंदिर में जाने की इच्छा करने से एक उपवास
का फल प्राप्त होता है। 2. मंदिर जाने के लिए खडे होने से दो उपवास का फल प्राप्त होता है। 3. कदम आगे बढाने से तीन उपवास का फल प्राप्त होता है ।
गमणे दसमं तु भवे, तह चेव दुवालसं गए किंचि ।।
मग्गे पक्खु व वासो, मासु व वासं च दिट्ठमि ॥ 2 ॥ अर्थात् 1. मंदिर की तरफ चलने पर चार उपवास का फल प्राप्त होता है । . 2. कुछ चलने पर पांच उपवास का फल मिलता है । • 3. जिनालय के आधे मार्ग को पार करने पर पन्द्रह उपवास का फल
प्राप्त होता है। 4. श्री जिन मंदिर के दिखने मात्र से एक महिने के उपवास का फल
प्राप्त होता है। संपतो जिण भवणे पावाइ छम्मासिअं फलं पुरिसो ।
संवच्छरिअं तु फलं, दारुद्देसठिओ लहइ ॥ 3 ॥
1. जिनालय पहुंचने पर छ: मास के उपवास का फल प्राप्त होता है। ... 2. जिनालय के द्वार पर पाँव धरने पर बारह मास (एक वर्ष) के उपवास
+++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी
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