________________
उ. हाँ, चढ़ाया जा सकता हैं । जैसे न खाने में त्याग की भावना, अनासक्ति
की भावना होती है वैसे ही परमात्मा के चरणों में अर्पण करने में भी
आसक्ति के त्याग की भावना प्रबल होती है। प्र.373 पर्व तिथि को परमात्मा के समक्ष क्या फल-फूल चढ़ा सकते हैं ? उ. आयुष्य कर्म का बंध पर्व तिथि के दिन होने से स्वयं के भोग के लिए
श्रावक-श्राविका वर्ग हरी वनस्पति का त्याग करते हैं । परंतु परमात्मा के समक्ष फल-फूल चढ़ाने से अध्यवसाय (मनोगत भाव) शुभ, शुद्ध व निर्मल
होते है इसलिए पर्व तिथि को फल-फूल चढ़ाने चाहिए । प्र.374 परमात्मा पूजा में कस्तुरी, अम्बर, गोरोसन का उपयोग करना क्या
उचित हैं ? उ. हाँ, उचित हैं । उत्पत्ति स्थान अशुद्ध होने पर भी व्यवहार जगत में जिन
पदार्थों को उत्तम माना जाता हैं, उन उत्तम पदार्थों के द्वारा उत्तमोत्तम पुरुष
की पूजा-अर्चना करना अनुचित, असंगत नहीं हैं । गोमूत्र उत्पत्ति स्थल ... की अपेक्षा से अशुद्ध होने पर भी व्यवहार जगत में पवित्र माना जाता हैं। प्र375 परमात्मा की जलपूजा सचित्त जल से ही क्यों करते हैं ? उ. मेरुपर्वत पर इन्द्र महाराज ने परमात्मा का अभिषेक सचित्त जल से ही किया .. था। इसलिए इस परम्परा का अनुकरण करते हुए सचित्त जल से ही जल • पूजा करते है। प्र376 स्नात्र पूजा क्यों की जाती हैं ? उ. स्नात्र पूजा परमात्मा के जन्म महोत्सव का प्रतीक रुप हैं । जिस प्रकार इन्द्र
और देवों ने मिलकर परमात्मा के जन्म समय अभिषेक किया था, उन्हीं भावों से ओतप्रोत होकर स्नात्र पूजा की जाती है। +++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी
91
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org