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2. चक्षु युगल और वस्त्र पूजा चक्षु व वस्त्र प्रतिमा पर चढ़ाना ।
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3. पुष्प पूजा
4.
पुष्प माला पूजा
5. वर्णक पूजा - कस्तुरी आदि से प्रतिमा को सुशोभित करना । वासक्षेप आदि सुगन्धित पदार्थों से पूजा करना ।
6. चूर्ण पूजा
7. आभरण पूजा
9. पुष्प प्रकर पूजा (पुष्प के ठेर करना)
10. आरती-मंगल दीप पूजा 11. दीपक पूजा 12. धूप पूजा 13. नैवेद्य
पूजा 14 फल पूजा 15. गीत पूजा 16. नृत्य पूजा 17. वार्जित्र पूजा । अंतिम तीन पूजा भाव पूजा कहलाती है (मेघराज जी कृत) । अन्य अपेक्षा से सत्तर भेदी के नाम पूजा 1. न्हवण 2. विलेपन 3. चक्षु-वस्त्र युग्म 4. सुगंध-वास पूजा 5. खुले - छूटे फुल 6. पुष्पमाला 7. पुष्पों से अंग रचना 8. चूर्ण 9. ध्वज 10. आभरण 11. पुष्पग्रह 12. पुष्पवृष्टि 13. अष्टमंगल 14. धूप-दीप 15. गीत 16. नाटक 17. वार्जित्र ।
8. पुष्प ग्रह (मंडप ) पूजा
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पूं. आत्मारामजी महाराज कृत सत्तरह भेदी पूजा की तीसरी पूजा में वस्त्र युग्म के साथ चक्षु पूजा को सम्मिलित नही किया है और ऐसे ही चौदहवीं धूप पूजा में दीप पूजा को सम्मिलित नही किया ।
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प्र. 270 इक्वीस प्रकार की पूजा के अन्तर्गत कौनसी पूजाएं आती है ? 1. स्नात्र पूजा 2. विलेपन पूजा 3. आभूषण पूजा 4. पुष्प पूजा 5. वासक्षेप पूजा 6. धूप पूजा 7. दीप पूजा 8. फल पूजा 9. अक्षत पूजा 10. नागरवेल के पान से पूजा 11. सुपारी पूजा- हथेली में रखने का फल 12. नैवेद्य पूजा 13. जल पूजा - भरे हुए कलश आदि की स्थापना 14. वस्त्र पूजा
चैत्यवंदन भांष्य प्रश्नोत्तरी
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