________________
प्र.350 अक्षत पूजा कौनसी मुद्रा में और क्यों करनी चाहिए ? उ. चतुर्दल मुद्रा में, चतु: यानि चार, दल यानि पंखुडी । चारों दल चार
गति के प्रतीक है और मोक्ष, संसार की चार गति रुप पंखुडीयों से ऊपर
है । 'उसकी प्राप्ति हेतु अक्षत पूजा चतुर्दल मुद्रा में करते हैं । प्र.351 स्वस्तिक की रचना क्यों की जाती हैं ? उ. चार गतियों से मुक्त होकर पंचम गति (मोक्ष) को प्राप्त करने के लिए
स्वस्तिक की रचना की जाती है। 4.352 तीन ढगली और सिद्ध शिला क्यों बनाते हैं ? . उ. तीन ढगली ज्ञान-दर्शन-चारित्र की प्राप्ति हेतु और सिद्धशिला अपने
___ अंतिम लक्ष्य (मोक्ष) की प्राप्ति के उद्देश्य से बनाते है । प्र.353 सिद्धशिला किस आकार में बनानी चाहिए ? उ. अर्ध वर्तुलाकार अर्थात् अष्टमी के चांद के आकार की बनानी चाहिए। प्र.354 मंदिर में अक्षत का ही स्वस्तिक क्यों बनाया जाता हैं ? उ. जिस प्रकार अक्षत को वपन (बोने) करने पर दूबारा उगते नहीं हैं, उसी .. - प्रकार अक्षत पूजा के द्वारा परमात्मा के समक्ष प्रार्थना की जाती है कि
मैं भी जन्म-मरण की वेदना से मुक्त होकर अजन्मा व अक्षय स्वरुप को प्राप्त . करुं। . . प्र.355 नैवेद्य पूजा क्यों की जाती हैं ? उ. अणहारी पद की प्राप्ति के लिए एवं रसनेन्द्रिय पर विजय प्राप्त करने
के लिए नैवेद्य पूजा की जाती हैं । प्र.356 फल पूजा क्यों की जाती हैं ? . उ. मोक्ष रुपी फल प्राप्ति के लिए फल पूजा की जाती हैं ।
***++++++++++++++++++++++++++++ चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी
- 85
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org