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विनय पूर्वक परमात्मा की जो पूजा की जाती है, उसे पंचोपचारी पूजा कहते है । इसे पूजा षोडशक प्रकरण में 'पंचांग प्रणिपात' भी कहते है । प्र. 266 अष्टोपचारी पूजा किसे कहते है ?
उ.
आठ प्रकार के साधन - पुष्प, अक्षत, गंध, दीप, धूप, नैवेद्य, फल और जल के द्वारा जो पूजा की जाती है, उसे अष्टोपचारी पूजा कहते है । षोडशक के अनुसार - आठ अंगों (मस्तक, छाती, पेट, दो हाथ, दोनों घुटनें पीठ) से विनय पूर्वक परमात्मा को अष्टांग प्रणिपात (दण्डवत् प्रणाम) करना, अष्टोपचारी पूजा है । षोडशक में इसे 'अष्टांग प्रणिपात ' भी कहते है ।
प्र. 267 सर्वोपचारी पूजा किसे कहते है ?
उ.
विशेष ऋद्धि, समृद्धि, सर्वबल के संग परमात्मा के दर्शन हेतु जिन मंदिर या परमात्मा के समवसरण में सम्मान पूर्वक ' विनय सहित जाना, सर्वोपचारी पूजा कहलाती है । ( षोडशक व औपपातिक सूत्र ) उत्तम वस्तुओं के द्वारा जो परमात्मा की पूजा की जाती है, उसे सर्वोपचारी पूजा कहते है । स्नात्र - अर्चन - वस्त्र, आभूषण, फलं, नैवेद्य, दीपक तथा गीत-नाटक, आरती आदि से की जानेवाली पूजा, सर्वोपचारी पूजा कहलाती है।
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प्र. 268 कौन-कौनसी पूजा सर्वोपचारी पूजा के अन्तर्गत आती हैं ? उ. 17 भेदी, 21 भेदी, 64 प्रकारी, 99 प्रकारी पूजा ।
प्र. 269 17 भेदी ( सत्तरह प्रकारी ) पूजा के नाम बताइये ?
उ.
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1. स्नान विलेपन पूजा - प्रक्षाल, विलेपन, केसर - चंदन आदि से नवांगी
पूजा करना ।
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चतुर्थ पूजा त्रिक
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