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3. शाम को पूजा - सूर्यास्त से पूर्व । प्र.274 प्रभात बेला में कौन-कौन सी पूजा की जाती है ? उ. उत्तम प्रकार के सुगंधित द्रव्यों से वासक्षेप पूजा तत्पश्चात् धूप पूजा,
दीपक पूजा और अंत में भाव पूजा (चैत्यवंदन)की जाती है । प्र.275 मध्याह्न (दोपहर) में कौन-कौन सी पूजा का विधान है ? उ. अष्ट प्रकारी पूजा करने का विधान है। प्र.276 संध्याकाल में कौन-कौनसी पूजा की जाती है ? उ. धूप पूजा, दीपक पूजा, आरती, मंगल दीपक, तत्पश्चात् भाव पूजा
(चैत्यवंदन) की जाती है। . प्र.277 त्रिकाल पूजन से क्या लाभ होता है ? उ. त्रिकाल पूजा करने वाला पूजक तीसरे अथवा सातवें अथवा आठवें भव ' में सिद्धत्व को प्राप्त करता है। प्र.278 पूजा हेतुं स्नान का जल कैसा होना चाहिए ? उ.. कुंआ, बावडी, नदी आदि का छाना हुआ शुद्ध पवित्र जल होना चाहिए। प्र.279 स्नान के प्रकार बताइये । उ. दो प्रकार - 1. द्रव्य स्नान 2. भाव स्नान । प्र.280 द्रव्य स्नान किसे कहते है ? उ, शुद्ध जल द्वारा किया जाने वाला स्नान, द्रव्य स्नान कहलाता है । प्र.281 भाव स्नान से क्या तात्पर्य है ? उ.. ध्यानाऽम्भसा तु जीवस्य, सदा यच्छुद्धिकारणम् ।।
मलं कर्म समाश्रित्य, भाव स्नानं तदुच्चते ॥
शुद्ध ध्यान रुपी पानी से कर्म रुपी मैल को दूर करके जीव को सदैव • +++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++
चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी
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