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प्र.218 प्रदक्षिणा तीन ही क्यों दी जाती है ? उ. 1. ज्ञान, दर्शन और चारित्र रुपी रत्नत्रयी की प्राप्ति हेतु । 2. त्रियोग शुद्धि- मन को विकार रहित करने, वचन को सात्विक करने
और शरीर को अशुचि से मुक्त अर्थात् आत्मा को निर्मल बनाने हेतु
परमात्मा की तीन प्रदक्षिणा दी जाती है । 3. जन्म, जरा, मृत्यु निवारण हेतु तीन प्रदक्षिणा दी जाती है । . . प्र.219 संसार वर्धक व संसार नाशक कौनसी परिक्रमा (प्रदक्षिणा ) होती
उ. विवाह मण्डप में अग्नि के चारों ओर दी जाने वाली चार परिक्रमा (फेरे)
संसार वर्धक होती है, जबकि परमात्मा को केन्द्र में रखकर दी जाने वाली प्रदक्षिणा संसार नाशक अर्थात् भवभ्रमणा को मिटाने वाली, अनंत कों
की निर्जरा करके अंत में परमात्मा स्वरुप को प्राप्त कराने वाली होती है। प्र.220 प्रदक्षिणा देते समय कौन-कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए ? उ. 1. प्रदक्षिणा स्थल अंधकारमय नही होना चाहिए, वहां प्रकाश की उचित
व्यवस्था होनी चाहिए ताकि ईर्यासमिति का पालन सुगमता से हो
सके। 2. प्रदक्षिणा देते समय दृष्टि जमीन पर होनी चाहिए ताकि जयणा का
पालन सम्यक् रुप से कर सकें । 3. परिक्र मा स्थल यदि चारों ओर से बन्द हो तो मर्यादा रक्षार्थ यदि
पुरुष प्रदक्षिणा में हो तो स्त्रियों को और यदि स्त्रियाँ प्रदक्षिणा दे रही हो तो पुरुषों को खड़ा रहना चाहिए ।
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द्वितीय प्रदक्षिणा त्रिक
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