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प्र.180 अवग्रह द्वार में क्या बताया गया है ? उ. जिनमंदिर में परमात्मा की स्तुति-स्तवना करते समय हमें परमात्मा से
कितनी दूरी पर खड़ा रहना, इसका स्पष्टीकरण अवग्रह द्वार के अन्तर्गत
किया गया है। . प्र.181 वंदना द्वार किसे कहते हैं ? उ. जिनेश्वर परमात्मा के सामने किये जाने वाले तीन प्रकार के चैत्यवंदन
का वर्णन जिस द्वार में किया गया है, वह वंदना द्वार कहलाता हैं । प्र.182 प्रणिपात द्वार में किसका उल्लेख किया गया हैं ? उ. शरीर के कितने अवयवों (अंगों) को भूमि से स्पर्श करवाते हुए परमात्मा
को प्रणाम करना हैं, इसका उल्लेख प्रणिपात द्वार में किया गया हैं । प्र.183 नमस्कार द्वार से क्या तात्पर्य है ? उ. परमात्मा को नमस्कार कैसे व कितने श्लोकों द्वारा किया जाता है, इसका
कथन जिस द्वार में किया गया है, उसे नमस्कार द्वार कहते है । प्र.184 वर्ण द्वार किसे कहते है ? उ. चैत्यवंदन में जो नौ सूत्र बोले जाते है, उनमें से कुछ सूत्र बारम्बार उच्चारित
होने पर भी समान सूत्रों को मात्र एक ही बार गिनने पर चैत्यवंदन के नौ सूत्रों में कुल कितने वर्ण होते है, इसका उल्लेख जिस द्वार में किया
गया है, उसे वर्ण द्वार कहते है। प्र.185 पद द्वार किसे कहते है ? उ. विवक्षित अर्थ की पूर्णाहुति को अथवा अनेक शब्दों के वाक्यों को या
श्लोक के पाद को पद कहते है, इनका विवरण जिस द्वार में किया गया
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चौबीस द्वारों का कथन
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