Book Title: Bhagwati Sutra Part 01
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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(LXIV)
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प्रत्याख्यानी-अप्रत्याख्यानी-पद शाश्वत-अशाश्वत-पद तीसरा उद्देशक वनस्पति-आहार-पद अनन्तकाय-पद अल्पकर्म-महाकर्म-पद वेदना-निर्जरा-पद शाश्वत-अशाश्वत-पद चौथा उद्देशक संसारस्थजीव-पदम् पांचवां उद्देशक योनिसंग्रह-पद छठा उद्देशक आयुष्क-प्रकरण-वेदना-पद कर्कश-अकर्कश-वेदनीय-पद सातासात-वेदनीय-पद दुःषम-दुःषमा-पद सातवां उद्देशक संवृत का क्रिया-पद दुर्बल शरीर वाले का भोग-परित्याग
-पद अकामनिकरण-वेदना-पद प्रकामनिकरण-वेदना-पद आठवां उद्देशक मोक्ष-पद हस्ति और कुन्थु के जीव की समानता
का पद सुख-दुःख-पद दशविधसंज्ञा-पद नैरयिकों की दशविध वेदना का पद हस्ती और कुन्थु की अप्रत्याख्यानक्रिया
का पद आधाकर्म आदि-पद नवां उद्देशक असंवत अनगार की विक्रिया का पद
२३० महाशिलाकंटक संग्राम-पद
२४८ २३२ नागनप्तृक वरुण के मित्र का पद २३२ दसवां उद्देशक २३२ कालोदायी प्रभृति का पञ्चास्तिकाय में • २३३ सन्देह-पद २३३ कालोदायी का समाधानपूर्वक प्रव्रज्या २३४ का पद २३६ कालोदायी का कर्म आदि के विषय में २३६ प्रश्न का पद
२५७ २३६ आठवां शतक (पृ. २६०-३३३) २३७ पहला उद्देशक
२६० २३७ संग्रहणी गाथा
२६० २३७ पुद्गल-परिणति-पद
२६० २३७ प्रयोग-परिणति-पद
२६० २३८ पर्याप्त-अपर्याप्त की अपेक्षा प्रयोग२३८ -परिणति-पद २३९ शरीर की अपेक्षा प्रयोग-परिणति-पद २६३ २४१ इन्द्रिय की अपेक्षा प्रयोग-परिणति-पद २६४ २४१ शरीर और इन्द्रिय की अपेक्षा प्रयोग
-परिणति-पद २४३ वर्ण आदि की अपेक्षा प्रयोग-परिणति-पद २६५ २४४ शरीर और वर्ण आदि की अपेक्षा २४५ प्रयोग-परिणति-पद २४५ इन्द्रिय और वर्ण आदि की अपेक्षा २४५ प्रयोग-परिणति-पद
शरीर, इन्द्रिय और वर्ण आदि की अपेक्षा २४५ प्रयोग-परिणति-पद २४६ मिश्र-परिणति-पद
२६६ २४७ विससा-परिणति-पद २४७ प्रयोग-परिणति-पद
२६७ मन-प्रयोग-परिणति-पद
२६७ वचन-प्रयोग-परिणति-पद
२६७ २४७ काय-प्रयोग-परिणति-पद
२६८ २४७ मिश्र-परिणति-पद
२७० २४७ विस्रसा-परिणति-पद
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