Book Title: Bhagwati Sutra Part 01
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 536
________________ पृष्ठ सूत्र पंक्ति २७४-७६ ६३-६५ सर्वत्र गौतम! २७४ ६३ ४ है। पंचेन्द्रिय ७ ७-८ २७५ . . . . . . . . . . २७६ ............. २७७ २७८ ... इस प्रकार जैसी के भेद की वक्तव्यता है वैसे ही यहां वक्तव्य है यावत् जैसी पण्णवणा ( २१ / ५४) में मनुष्य-पंचेन्द्रिय-वैक्रिय शरीर की वक्तव्यता है वैसे ही यहां वक्तव्य है ६५ १, ६ है यावत् स्तनितकुमार -आशीविष है? ६४ ६८ EE १०१ ****** ४. १०१ ४ १०३ ३ १०५ २ १०६ १०६ २३ है आनत पदार्थो जानते-देखते हैं, के भेद की वक्तव्यता है गौतम! तीन जैसे की वक्तव्यता है वैसी ही मति -अज्ञान की वक्तव्यता। है यावत् -संस्थित यावत् गौतम! ज्ञानी AWAN AS AN AC १०७ २ १०८ १२३-२० ३ و २ गौतम! ४ जीव ६ नैरयिक ११३ ३ जीवों की ११४ २ सिद्धों (सूत्र ८ / ११०) की ११६ ३ - इन्द्रिय जीवों २७६ ११८ २ पृथ्वीकायिक- यावत् १२०, १ है? १२१ mr mor अशुद्ध 18 - तिर्यग्योनिक " १२४ ३ एकेन्द्रिय १२५ ३ नैरयिक (म. ८/६८ में उक्त है) वैसा ही (मति - अज्ञान वक्तव्य है), है (नंदी, सू. ४०-४८) यावत् - संस्थित (भ. १/४८) यावत् गौतम ! (नैरयिक) ज्ञानी (असुरकुमार वक्तव्य है) जैसे नैरयिकों की वक्तव्यता वैसे ही जैसे नैरयिक (उक्त हैं) वैसे ही यहां वक्तव्य हैप्रकार यावत् गौतम! शुद्ध गौतम! ( वह) है, पंचेन्द्रिय इस प्रकार जैसा का भेद (उक्त है) वैसा ही ( यहां वक्तव्य है) यावत् जैसा (पण्णवणा ( २१ / ५४) में) (मनुष्य-पंचेन्द्रिय) वैक्रिय शरीर (उक्त वैसा ही (यहां वक्तव्य है) है? (अथवा) यावत् स्तनितकुमारों -आशीविष है ? (......) है, आनतपदार्थो जानते हैं, देखते हैं, का भेद (उक्त है) गौतम! (अज्ञान) तीन जैसा प्रकार (पूर्ति - पण्णवणा, पद २) यावत् गौतम ! ( पृथ्वीकायिक) " (द्वीन्द्रिय) - तिर्यग्योनिकों गौतम ! ( पंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिक) जीवों नैरयिकों जीव सिद्धों (म. ८ / ११० ) की -इन्द्रिय-जीवों पृथ्वीकायिक- यावत् हैं? (अथवा अज्ञानी हैं ?) ") ( पर्याप्तक) एकेन्द्रियों ( पर्याप्तक) नैरयिकों पृष्ठ सूत्र पंक्ति २७६ .... १२७ B २८३ २८० १२८ 9 १२६ २८४ १३१, १३४ १३४ १३५ *** * २८१ १४०-४२ १३८ १४० १५० । १५६ १६० १६१ | १६२ | १६५ २ १६५ NAWA 4 ३ २८२ १४६ २ २ ४ Amr ३ २ ३ २ १ २. ३ २ ५ २ ३ ४ २ ६ ७ २ ३ ४ ५ २ ह, यावत् जीवों की " वक्तव्यता ज्ञातव्य है। गौतम! ज्ञानी २ जैसी २, ३ लब्धिकों " शुद्ध यावत् (अपर्याप्तक) स्तनितकुमार वक्तव्यता (अपर्याप्तक) पृथ्वीकायिक यावत् वनस्पतिकायिक की वक्तव्यता यावत् (अपर्याप्तक) वनस्पतिकायिक एकेन्द्रिय एकेन्द्रियों (अपर्याप्तक) द्वीन्द्रियों द्वीन्द्रिय वानमन्तर वानमन्तर की वक्तव्यता नैरयिक (अपर्याप्तक) नैरयिकों (वक्तव्य हैं)। जीवा ३ . यावत् स्तनितकुमार वक्तव्यता | पृथ्वीकायिक ज्ञातव्य है। जीव अशुद्ध अभवस्थ की वक्तव्यता सिद्ध की अभवस्थ जीव सिद्ध की जीवों (भ. ८ / ११८ ) की संज्ञि संज्ञि-जीव ( सइन्द्रियअसंज्ञि- जीव द्वीन्द्रिय जीवों की संज्ञी सइन्द्रिय असंझी-जीवों की द्वीन्द्रिय नोसंज्ञी-नोअसंज्ञी जीवों की सिद्धों गौतम! लब्धि यावत् गौतम! अलब्धिकों की वक्तव्यता है वेसी अलब्धिकों की वक्तव्यता ज्ञातव्य है। गौतम! ज्ञानी अलब्धिकों की वक्तव्यता मिथ्या ज्ञातव्य है। गौतम! पांच गौतम! ज्ञानी इस प्रकार जैसी अलब्धिकों की वक्तव्यता वैसी अलब्धिकों की वक्तव्यता ज्ञातव्य गौतम! एक ज्ञानी (वक्तव्य हैं)। गौतम! (उनके) पांच गौतम! (वे) ज्ञानी इस प्रकार जैसे अलब्धिक उक्त हैं वैसे है। अलब्धिक (वक्तव्य है), गौतम! (वे) एक-ज्ञानीलब्धिक लब्धिकों अलब्धिकों की वक्तव्यता ज्ञातव्य हैं। अलब्धिक वक्तव्य हैं। ४- शीर्षक बाल आदिवीर्य बाल आदि वीर्य गौतम! (वे) १६६, २ गौतम! १६७ नोसंज्ञिनोअसजि-जीव सिद्धों गौतम! ( वह) लब्धि (भ. ८/६७) यावत् गौतम! (वे) ( २४ हैं यावत् जीव भी जीव (वक्तव्य हैं)। गौतम! (वे) ज्ञानी जैसे लब्धिक अलब्धिक उक्त हैं वैसे अलब्धिक (वक्तव्य हैं)। गौतम ! (वे) ज्ञानी अलब्धिक मिथ्या पृष्ठ सूत्र पंक्ति २८४ १६८ २८४-८५ २८५ १६६ " . . . . . . . ........... ू ू - ू हूँ . . हूँ हूँ हूँ...*... ज्ञातव्य हैं लब्धिकों अलब्धिकों की वक्तव्यता वक्तव्य है। लब्धिकों अलब्धिकों की वक्तव्यता के समान है। साकारोपयुक्त जीवों के अभिनिबोधिक जीवों के ३ -जीवों ३-६ जीवों की वक्तव्यता १७३-७५४ सर्वत्र लब्धिकों के समान है। -जीवों १७१ १७२ १७३ १७४ १७५ १७६ 9919, १७६ १७८ १८२ १८४ १८५ E - १८६ २८६ १६२ ५ १६३ ५ २ womem or ८ २ ३ २८६ १८१ २ २ ६-७ जीवों की वक्तव्यता जीव की काय योगी ३ २ २ अशुद्ध वाले की वक्तव्यता इन्द्रिय ७. २८८ १८८ ५ om ur 9 अनाकारोपयुक्त जीवों के -जीवों ३ -जीव ६ सिद्ध ***** -जीव -जीव की ५ सर्वक्षेत्र ६ सर्वकाल सर्वक्षेत्र सर्वकाल सिद्ध -जीव जीवों जीव -जीव अनंतवें भाग सर्वक्षेत्र सर्वकाल विषय भूत २ प्रज्ञप्त है। जैसे सादि सपर्यवसित सादि की भांति वाले इन्द्रिय (वक्तव्य हैं) लब्धिक अलब्धिक (वक्तव्य हैं)। लब्धिक अलब्धिक की भाँति (वक्तव्य हैं)। (साकारोपयुक्त जीवों के) (अभिनिबोधिक जीवों के) -जीव शुद्ध -जीव लब्धिकों की भाँति (वक्तव्य हैं)। -जीव भी ( अनाकारोपयुक्त - जीवों के) -जीव भी -जीव जीवों (भ. ८/११८) की काय योगी भी सिद्धों -जीवों -जीवों (म. ८/११५) की जीव लेश्या युक्त-जीवों सिद्धों -जीवों जीव -जीवों -जीवों सर्व-क्षेत्र सर्व-काल सर्व-क्षेत्र सर्व-काल अनंतवें भाग सर्व क्षेत्र सर्व-काल विषयभूत प्रज्ञप्त है, जैसे सादि सपर्यवसित इसी प्रकार (सादि की भांति)

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