Book Title: Bhagwati Sutra Part 01
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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श. ९ : उ. ३१ : सू. २२-२७
भगवती सूत्र
गौतम! जिसके आभिनिबाधिक-ज्ञानावरणीय-कर्म का क्षयोपशम होता है, वह पुरुष केवली यावत् तत्पाक्षिक की उपासिका से सुने बिना केवल- आभिनिबोधिक-ज्ञान उत्पन्न कर सकता है। जिसके आभिनिबोधिक-ज्ञानावरणीय-कर्म का क्षयोपशम नहीं होता वह पुरुष केवली यावत् तत्पाक्षिक की उपासिका से सुने बिना केवल-आभिनिबोधिक-ज्ञान उत्पन्न नहीं कर सकता। गौतम! इस अपेक्षा से यह कहा जा रहा है कोई पुरुष सुने बिना केवल-आभिनिबोधिक-ज्ञान उत्पन्न कर सकता है और कोई नहीं कर सकता। २३. भंते! कोई पुरुष केवली यावत् तत्पाक्षिक की उपासिका से सुने बिना केवल श्रुत-ज्ञान उत्पन्न कर सकता है? गौतम! कोई पुरुष केवली यावत् तत्पाक्षिक की उपासिका से सुने बिना केवल श्रुत-ज्ञान उत्पन्न कर सकता है और कोई नहीं कर सकता। २४. भंते! यह किस अपेक्षा से कहा जा रहा है-कोई पुरुष सुने बिना केवल श्रुत-ज्ञान उत्पन्न कर सकता है और कोई नहीं कर सकता? गौतम! जिसके श्रुत-ज्ञानावरणीय-कर्म का क्षयोपशम होता है वह पुरुष केवली यावत् तत्पाक्षिक की उपासिका से सुने बिना केवल श्रुत-ज्ञान उत्पन्न कर सकता है। जिसके श्रुतज्ञानावरणीय कर्म का क्षयोपशम नहीं होता वह पुरुष केवली यावत् तत्पाक्षिक की उपासिका से सुने बिना केवल श्रुत-ज्ञान उत्पन्न नहीं कर सकता। गौतम! इस अपेक्षा से यह कहा जा रहा है कोई पुरुष सुने बिना केवल श्रुत-ज्ञान उत्पन्न कर सकता है और कोई नहीं
कर सकता। २५. भंते! कोई पुरुष केवली यावत् तत्पाक्षिक की उपासिका से सुने बिना केवल अवधि-ज्ञान उप्पन्न कर सकता है? गौतम! कोई पुरुष केवली यावत् तत्पाक्षिक की उपासिका से सुने बिना केवल अवधि-ज्ञान उत्पन्न कर सकता है और कोई नहीं कर सकता। २६. भंते! यह किस अपेक्षा से कहा जा रहा है-कोई पुरुष सुने बिना केवल अवधि-ज्ञान उपन्न
कर सकता है और कोई नहीं कर सकता? गौतम! जिसके अवधि-ज्ञानावरणीय कर्म का क्षयोपशम होता है, वह पुरुष केवली यावत् तत्पाक्षिक की उपासिका से सुने बिना केवल अवधिज्ञान उत्पन्न कर सकता है। जिसके अवधि-ज्ञानावरणीय कर्म का क्षयोपशम नहीं होता, वह केवली यावत् तत्पाक्षिक की उपासिका से सुने बिना केवल अवधि-ज्ञान उत्पन्न नहीं कर सकता। गौतम! इस अपेक्षा से यह कहा जा रहा है कोई पुरुष सुने बिना केवल अवधि-ज्ञान उत्पन्न कर सकता है और कोई नहीं कर सकता। २७. भंते! कोई पुरुष केवली यावत् तत्पाक्षिक की उपासिका से सुने बिना केवल मनःपर्यव-ज्ञान उत्पन्न कर सकता है? गौतम! कोई पुरुष केवली यावत् तत्पाक्षिक की उपासिका से सुने बिना केवल मनःपर्यव-ज्ञान उत्पन्न कर सकता है और कोई नहीं कर सकता।
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