Book Title: Bhagwati Sutra Part 01
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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भगवती सूत्र
हां, गौतम ! पृथ्वीकायिक पृथ्वीकायिक का ही आन यावत् निःश्वास लेते हैं । २५४. भंते! पृथ्वीकायिक अप्कायिक का आन यावत् निःश्वास लेते हैं ?
हां, गौतम ! पृथ्वीकायिक अप्कायिक का आन यावत् निःश्वास लेते हैं। इसी प्रकार तैजसकायिक, वायुकायिक, इसी प्रकार वनस्पतिकायिक की वक्तव्यता । २५५. भंते! अप्कायिक पृथ्वीकायिक का आन यावत् निःश्वास लेते हैं ?
हां, गौतम ! अप्कायिक पृथ्वीकायिक का आन यावत् निःश्वास लेते हैं । २५६. भंते! अप्कायिक अप्कायिक का आन यावत् निःश्वास लेते हैं ?
अप्कायिक अप्कायिक का आन यावत् निःश्वास लेते हैं। इसी प्रकार तैजसकायिक, वायुकायिक और वनस्पतिकायिक की वक्तव्यता ।
२५७. भंते! क्या तैजसकायिक पृथ्वीकायिक का आन यावत् निःश्वास लेते हैं ? भंते! यावत् वनस्पतिकायिक वनस्पतिकायिक का आन यावत् निःश्वास लेते हैं ?
पूर्ववत् वक्तव्यता ।
क्रिया-पद
श. ९ : उ. ३४ : सू. २५३-२६३
२५८. भंते! पृथ्वीकायिक पृथ्वीकायिक का आन अथवा अपान अथवा उच्छ्वास अथवा निःश्वास लेता हुआ कितनी क्रिया वाला होता है ?
गौतम ! स्यात् तीन क्रिया वाला, स्यात् चार क्रिया वाला, स्यात् पांच क्रिया वाला होता है । २५९. भंते! पृथ्वीकायिक अप्कायिक का आन यावत् निःश्वास लेता हुआ कितनी क्रिया वाला होता है ?
पूर्ववत् वक्तव्यता । इसी प्रकार यावत् वनस्पतिकायिक की वक्तव्यता । इसी प्रकार यावत् अप्कायिक के सर्व विकल्प वक्तव्य हैं । इसी प्रकार तैजसकायिक और वायुकायिक की वक्तव्यता यावत्
२६०. भंते! वनस्पतिकायिक वनस्पतिकायिक का आन यावत् निःश्वास लेता हुआ कितनी क्रिया वाला होता है ? पृच्छा ।
गौतम ! स्यात् तीन क्रिया वाला, स्यात् चार क्रिया वाला, स्यात् पांच क्रिया वाला।
२६१. भंते! वायुकायिक (जीव) वृक्ष के मूल को प्रकंपित करता हुआ, गिराता हुआ कितनी क्रिया वाला होता है ?
गौतम ! स्यात् तीन क्रिया वाला, स्यात् चार क्रिया वाला, स्यात् पांच क्रिया वाला होता है। इसी प्रकार कंद यावत्
२६२. वायुकायिक (-जीव) बीज को प्रकंपित करता हुआ कितनी क्रिया वाला होता है ? पृच्छा ।
गौतम ! स्यात् तीन क्रिया वाला, स्यात् चार क्रिया वाला, स्यात् पांच क्रिया वाला होता है । २६३. भंते! वह ऐसा ही है। भंते! वह ऐसा ही है।
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