Book Title: Bhagwati Sutra Part 01
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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भगवती सूत्र
श. १० : उ. २,३ : सू. २१-२९
उस स्थान की आलोचना-प्रतिक्रमण कर काल को प्राप्त करता है, उसके आराधना होती है।
२२. भंते! वह ऐसा ही है । भते ! वह ऐसा ही है ।
तीसरा उद्देश
आत्मर्धिक परर्धिक व्यतिव्रजन पद
२३. राजगृह नगर यावत् गौतम ने इस प्रकार कहा- भंते! देव आत्म - ऋद्धि के द्वारा यावत् चार-पांच देव-आवासांतरों को व्यतिक्रांत करता है, उसके पश्चात् पर ऋद्धि के द्वारा व्यतिक्रांत करता है ?
हां गौतम! देव आत्म-ऋद्धि के द्वारा यावत् चार-पांच देव - आवासांतरों को व्यतिक्रांत करता है, उसके पश्चात् पर ऋद्धि के द्वारा व्यतिक्रांत करता है। इसी प्रकार असुरकुमार की वक्तव्यता, इतना विशेष है - असुरकुमार - आवासांतरों को व्यतिक्रांत करता है शेष पूर्ववत् । इसी प्रकार इस क्रम से यावत् स्तनितकुमार की वक्तव्यता । इसी प्रकार वाणमंतर, ज्योतिष्क, वैमानिक यावत् उसके पश्चात् पर ऋद्धि के द्वारा व्यतिक्रांत करता है।
देवों का विनयविधि-पद
२४. भंते! क्या अल्पऋद्धि वाला देव महान् ऋद्धि वाले देव के बीच से होकर व्यतिक्रमण करता है ?
यह अर्थ संगत नहीं है ।
२५. भंते! सम - ऋद्धि वाला देव सम - ऋद्धि वाले देव के बीच से होकर व्यतिक्रमण करता है ? यह अर्थ सगंत नहीं है । वह सम ऋद्धि वाले प्रमत्त देव का व्यतिक्रमण कर सकता है
२६. भंते! क्या वह सम ऋद्धि वाले देव को विमोहित कर जाने में समर्थ है ? विमोहित किए बिना जाने में समर्थ है ?
गौतम ! वह सम - ऋद्धि वाले देव को विमोहित कर जाने में समर्थ है, विमोहित किए बिना जाने में समर्थ नहीं है ।
२७. भंते! क्या वह पहले विमोहित कर पश्चात् व्यतिक्रमण करता है ? पहले व्यतिक्रमण कर पश्चात् विमोहित करता है ?
गौतम ! पहले विमोहित कर पश्चात् व्यतिक्रमण करता है, पहले व्यतिक्रमण कर पश्चात् विमोहित नहीं करता ।
२८. भंते! महान् ऋद्धि वाला देव अल्प ऋद्धि वाले देव के बीच से होकर व्यतिक्रमण करता है ?
हां, व्यतिक्रमण करता है ।
२९. भंते! क्या वह विमोहित कर व्यतिक्रमण करने में समर्थ है ? विमोहित किए व्यतिक्रमण करने में समर्थ है ?
गौतम ! वह विमोहित कर व्यतिक्रमण करने में समर्थ है। विमोहित किए बिना भी व्यतिक्रमण करने में समर्थ है।
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