Book Title: Bhagwati Sutra Part 01
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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श. ११ : उ. १: सू. २७-३५
गौतम ! संज्ञी नहीं हैं, असंज्ञी है अथवा असंज्ञी हैं।
२८. भंते! क्या वे जीव इन्द्रिय- सहित हैं ? इन्द्रिय-रहित हैं ?
गौतम ! इन्द्रिय-रहित नहीं है । इन्द्रिय सहित है अथवा इन्द्रिय- सहित हैं।
२९. भंते! वह उत्पल-जीव उत्पल जीव के रूप में कितने काल तक रहता है ?
गौतम ! जघन्यतः अन्तर्मुहूर्त, उत्कृष्टतः असंख्येय काल ।
३०. भंते! वह उत्पल-जीव पृथ्वीकायिक- जीव के रूप में उत्पन्न होता है, पुनः उत्पल-जीव के रूप में उत्पन्न होकर कितने काल तक रहता है? कितने काल तक गति आगति करता है ? गौतम ! भव की अपेक्षा जघन्यतः दो भव-ग्रहण (जन्म) करता है, उत्कृष्टतः असंख्येय भव- ग्रहण करता है । काल की अपेक्षा जघन्यतः दो अन्तर्मुहूर्त, उत्कृष्टतः असंख्येय काल । इतने काल तक रहता है, इतने काल तक गति - आगति करता है 1
भगवती सूत्र
३१. भंते! वह उत्पल-जीव अप्कायिक जीव के रूप में उत्पन्न होता है, पुनः उत्पल-जीव के रूप में उत्पन्न होकर कितने काल तक रहता है? कितने काल तक गति आगति करता है ? पूर्ववत् वक्तव्यता । इस प्रकार जैसे पृथ्वीकायिक- जीव की वक्तव्यता, वैसे यावत् वायुकायिक- जीव की वक्तव्यता ।
३२. भंते! वह उत्पल-जीव शेष वनस्पतिकायिक- जीव के रूप में उत्पन्न होता है, वह पुनः उत्पल - जीव के रूप में उत्पन्न होकर कितने काल तक रहता है ? कितने काल तक गति- आगति करता है ?
गौतम ! भव की अपेक्षा जघन्यतः दो भव-ग्रहण (जन्म) करता है, उत्कृष्टतः अनंत भव- ग्रहण करता है काल की अपेक्षा जघन्यतः दो अन्तर्मुहूर्त्त, उत्कृष्टतः अनंत काल - वनस्पति काल । इतने काल तक रहता है, इतने काल तक गति - आगति करता है ।
३३. भंते! वह उत्पल - जीव द्वीन्द्रिय-जीव के रूप में उत्पन्न होता है, पुनः उत्पल जीव के रूप में उत्पन्न होकर कितने काल तक रहता है? कितने काल तक गति आगति करता है ? गौतम ! भव की अपेक्षा जघन्यतः दो भव-ग्रहण करता है, उत्कृष्टतः संख्येय भव-ग्रहण करता है । काल की अपेक्षा जघन्यतः दो अन्तर्मुहूर्त, उत्कृष्टतः संख्ये काल । इतने काल तक रहता है, इतने काल तक गति आगति करता है। इसी प्रकार त्रीन्द्रिय-जीव की वक्तव्यता । इसी प्रकार चतुरिन्द्रिय-जीव की वक्तव्यता ।
३४. भंते! वह उत्पल-जीव पंचेन्द्रिय-तिर्यग्योनिक-जीव के रूप में उत्पन्न होकर कितने काल तक रहता है-पृच्छा ।
गौतम ! भव की अपेक्षा जघन्यतः दो भव-ग्रहण करता है, उत्कृष्टतः आठ भव-ग्रहण करता है । काल की अपेक्षा जघन्यतः दो अन्तर्मुहूर्त्त उत्कृष्टतः पृथक्त्व - पूर्वकोटि । इतने काल तक रहता है, इतने काल तक गति - आगति करता है। इसी प्रकार मनुष्य के साथ उत्पल-जीव की वक्तव्यता, यावत् इतने काल तक गति-आगति करता हैं ?
३५. भंते! वे जीव क्या आहार करते हैं ?
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