Book Title: Bhagwati Sutra Part 01
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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दसवां शतक
पहला उद्देशक संग्रहणी गाथा
दशवें शतक में चौतीस उद्देशक हैं१. दिशा २. संवृत-अनगार ३. आत्म-ऋद्धि ४. श्यामहस्ती ५. देवी ६. सभा ७-३४.
उत्तरवर्ती अन्तर्वीप। दिशा-पद १. राजगृह नगर यावत् गौतम इस प्रकार बोले-भंते ! इस पूर्व दिशा को क्या कहा जाता है?
गौतम! वह जीव है और अजीव है। २. भंते ! इस पश्चिम दिशा को क्या कहा जाता है? गौतम! जीव है और अजीव है। इसी प्रकार दक्षिण, उत्तर, ऊर्ध्व और अधो दिशा जीव है
और अजीव है। ३. भंते ! दिशाएं कितनी प्रज्ञप्त हैं? गौतम! दश दिशाएं प्रज्ञप्त हैं, जैसे-१. पूर्व दिशा २. पूर्व-दक्षिण ३. दक्षिण ४. दक्षिणपश्चिम ५. पश्चिम ६. पश्चिम-उत्तर ७. उत्तर ८. उत्तर-पूर्व ९. ऊर्ध्व १०. अधः । ४. भंते! इन दश दिशाओं के कितने नाम प्रज्ञप्त हैं? गौतम! दश नाम प्रज्ञप्त हैं, जैसे-ऐन्द्री (पूर्व) आग्नेयी (पूर्व-दक्षिण का कोण) याम्या (दक्षिण) नैर्ऋती (दक्षिण-पश्चिम का कोण) वारुणी (पश्चिम) वायव्य (पश्चिम-उत्तर का कोण) सौम्य (उत्तर) ईशान (उत्तर-पूर्व का कोण) विमला (ऊर्ध्व) और तमा (अधो दिशा) ज्ञातव्य हैं। ५. भंते! ऐन्द्री दिशा क्या १. जीव है? २. जीव-देश है? ३. जीव-प्रदेश है? ४. अजीव है? ५. अजीव-देश है? ६. अजीव-प्रदेश है? गौतम! ऐन्द्री दिशा जीव भी है, जीव-देश भी है, जीव-प्रदेश भी है, अजीव भी है, अजीवदेश भी है, अजीव-प्रदेश भी है। जो जीव है, वे नियमतः एकेन्द्रिय, द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय,चतुरिन्द्रिय, पंचेन्द्रिय और अनिन्द्रिय
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