Book Title: Bhagwati Sutra Part 01
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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भगवती सूत्र
श. ७ : उ. ३ : सू. ७७-८९ से यह कहा जा रहा है नैरयिकों के जो वेदना है वह निर्जरा नहीं है, जो निर्जरा है वह वेदना नहीं है। ७८. इसी प्रकार यावत् वैमानिकों की वक्तव्यता। ७९. भन्ते! क्या जिसकी वेदना की उसकी निर्जरा की? जिसकी निर्जरा की उसकी वेदना की? ऐसा हो सकता है? यह अर्थ संगत नहीं है। ८०. भन्ते! यह किस अपेक्षा से कहा जा रहा है जिसकी वेदना की उसकी निर्जरा नहीं की? जिसकी निर्जरा की उसकी वेदना नहीं की? गौतम! वेदना कर्म की की और निर्जरा नोकर्म की की। गौतम! इस अपेक्षा से यह कहा जा रहा है यावत् जिसकी निर्जरा की उसकी वेदना नहीं की। ८१. इसी प्रकार नैरयिक यावत् वैमानिकों की वक्तव्यता। ८२. भन्ते! क्या जिसकी वेदना करते हैं उसकी निर्जरा करते हैं, जिसकी निर्जरा करते हैं उसकी वेदना करते हैं? गौतम! यह अर्थ संगत नहीं है। ८३. भन्ते! यह किस अपेक्षा से कहा जा रहा है यावत् जिसकी निर्जरा करते हैं उसकी वेदना नहीं करते? गौतम! वेदना कर्म की करते हैं, निर्जरा नोकर्म की करते हैं। गौतम! इस अपेक्षा से यह कहा
जा रहा है यावत् जिसकी निर्जरा करते हैं उसकी वेदना नहीं करते। ८४. इसी प्रकार नैरयिकों यावत् वैमानिकों की वक्तव्यता। ८५. भन्ते! क्या जिसकी वेदना करेंगे उसकी निर्जरा करेंगे, जिसकी निर्जरा करेंगे उसकी वेदना
करेंगे?
गौतम! यह अर्थ संगत नहीं है। ८६. भन्ते! यह किस अपेक्षा से कहा जा रहा है यावत् जिसकी निर्जरा करेंगे उसकी वेदना नहीं करेंगे? गौतम! वेदना कर्म की करेंगे, निर्जरा नोकर्म की करेंगे। इस अपेक्षा से यह कहा जा रहा है यावत् जिसकी वेदना करेंगे उसकी निर्जरा नहीं करेंगे। ८७. इसी प्रकार नैरयिक यावत् वैमानिकों की वक्तव्यता। ८८. भन्ते! क्या जो वेदना का समय है वही निर्जरा का समय है? जो निर्जरा का समय है वही वेदना का समय है? यह अर्थ संगत नहीं है। ८९. भन्ते! यह किस अपेक्षा से कहा जा रहा है जो वेदना का समय है वह निर्जरा का समय नहीं है? जो निर्जरा का समय है वह वेदना का समय नहीं है?
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