Book Title: Bhagwati Sutra Part 01
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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भगवती सूत्र
श. ७: उ. ९ : सू. १८६-१९३
शक्र एक महान् वज्र तुल्य अभेद्य कवच को निर्माण कर उपस्थित है। उसके पृष्ठभाग में असुरेन्द्र असुरकुमारराज चमर एक महान् लोह का तापस-पात्र - तुल्य पात्र निर्मित कर उपस्थित है । इस प्रकार तीन इन्द्र संग्राम कर रहे हैं, जैसे - देवेन्द्र, मनुष्येन्द्र और असुरेन्द्र । राजा कूणिक एकहस्तिका से भी जीतने में समर्थ है। राजा कूणिक एकहस्तिका से भी दूसरों को पराजित करने में समर्थ है।
१८७. राजा कूणिक ने रथमुसल - संग्राम लड़ते हुए नौ मल्ल और नौ लिच्छवी - काशी-कोशल के अठारह गणराजों को हत-प्रहत कर दिया, मथ डाला, प्रवर योद्धाओं को मार डाला, ध्वजा-पताका को गिरा दिया, उनके प्राण संकट में पड़ गए, उन्हें पीछे की ओर ढकेल दिया। १८८. भन्ते! यह किस अपेक्षा से कहा जा रहा है - वह रथमुसल संग्राम है ?
गौतम! रथमुसल-संग्राम चल रहा था । उस समय एक रथ जिसमें घोड़े जुते हुए नहीं थे, कोई सारथि उसे चला नहीं रहा था। जिसमें कोई योद्धा नहीं बैठा था, उसमें एक मुसल था, वह रथ योद्धाओं का क्षय, वध और प्रमर्दन करता हुआ, योद्धाओं के लिए प्रलयपात के समान बना हुआ, युद्धभूमि पर रक्त का कीचड़ फैलाता हुआ चारों तरफ दौड़ रहा था । गौतम ! इस अपेक्षा से कहा जा रहा है - रथमुसल संग्राम है।
१८९. भन्ते! रथमुसल - संग्राम में कितने लाख मनुष्य मारे गए ?
गौतम! छियानवें लाख मनुष्य मारे गए ।
१९०. भन्ते ! उस संग्राम में मारे जाने वाले मनुष्य शील, गुण, मर्यादा, प्रत्याख्यान और पौषधोपवास से रहित, रुष्ट और परिकुपित थे। उनका क्रोध उपशान्त नहीं था । वे मृत्यु समय में मरकर कहां गए? कहां उपपन्न हुए।
गौतम ! उनमें से दस हजार मनुष्य एक मछली की कुक्षि में उपपन्न हुए। एक देवलोक में उपपन्न हुआ। एक अच्छे मनुष्य कुल में उत्पन्न हो गया। शेष सब नरक और तिर्यक्-योनि में उपपन्न हुए।
१९१. भन्ते! देवेन्द्र देवराज शक्र और असुरेन्द्र असुरकुमारराज चमर ने राजा कूणिक को सहाय्य किस कारण से दिया ?
गौतम! देवेन्द्र देवराज शक्र राजा कूणिक का पूर्व जन्म का मित्र था, असुरेन्द्र असुरकुमारराज चमर उसका दीक्षा - पर्याय का साथी था । गौतम ! इस प्रकार देवेन्द्र देवराज शक्र और असुरेन्द्र असुरकुमारराज चमर ने राजा कूणिक को सहाय्य दिया ।
१९२. भन्ते ! बहुत लोग परस्पर ऐसा आख्यान कर रहे हैं यावत् प्ररूपणा कर रहे हैं - अनेक मनुष्य छोटे-बड़े किसी भी संग्राम में लड़ते हुए प्रहत हो मृत्यु के समय में मरकर किसी देवलोक में देव के रूप में उपपन्न होते हैं ।
१९३. भन्ते ! यह कैसे है ?
गौतम! बहुत लोग परस्पर ऐसा आख्यान कर रहे हैं यावत् प्ररूपणा कर कर हैं- अनेक मनुष्य छोटे बड़े किसी भी संग्राम में लड़ते हुए प्रहत हो मृत्यु के समय में मरकर किसी देवलोक में
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