Book Title: Bhagwati Sutra Part 01
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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भगवती सूत्र
श. ८ : उ. १ : सू. ४३-४८
आयत-सस्थान - परिणत । जो वर्ण से काल-वर्ण-परिणत हैं वे गन्ध से सुगंध- परिणत भी हैं, दुर्गन्ध - परिणत भी हैं ।
जैसे पण्णवणा में है वैसे ही अविकल रूप में वक्तव्य हैं यावत् जो संस्थान से आयत- संस्थान - परिणत हैं वे वर्ण से काल-वर्ण-परिणत भी हैं यावत् रूक्ष स्पर्श परिणत भी हैं। ४३. भन्ते ! एक द्रव्य क्या प्रयोग-परिणत है? मिश्र-परिणत है ? अथवा विस्रसा परिणत है ?
गौतम ! वह प्रयोग - परिणत है अथवा मिश्र-परिणत है अथवा विस्रसा परिणत है ।
प्रयोग - परिणति पद
४४. यदि प्रयोग - परिणत है तो क्या मन-प्रयोग- परिणत है ? वचन - प्रयोग - परिणत है ? अथवा काय प्रयोग - परिणत है ?
गौतम ! वह मन - प्रयोग- परिणत है अथवा वचन-प्रयोग- परिणत है अथवा काय प्रयोग- परिणत है ।
मन-प्रयोग - परिणति-पद
४५. यदि मन-प्रयोग-परिणत है तो क्या सत्य मन प्रयोग- परिणत है ? मृषा-मन-प्रयोग - परिणत है ? सत्यमृषा - मन- प्रयोग- परिणत है ? अथवा असत्यामृषा-मन-प्रयोग- परिणत है ?
गौतम ! वह सत्य - मन प्रयोग- परिणत है अथवा मृषा मन प्रयोग-परिणत है अथवा सत्यमृषा - मन- प्रयोग - परिणत है अथवा असत्यामृषा - मन- प्रयोग- परिणत है ।
४६. यदि सत्य-मन-प्रयोग- परिणत है तो क्या आरम्भ - सत्य-मन-प्रयोग- परिणत है ? अनारंभ- सत्य - मन- प्रयोग - परिणत है ? सारम्भ - सत्य-मन- प्रयोग- परिणत है ? असारम्भ - सत्य-मन- प्रयोग-परिणत है ? समारम्भ-सत्य-मन प्रयोग परिणत है ? अथवा असमारम्भ-सत्य-मन- प्रयोग - परिणत है ?
गौतम ! आरम्भ - सत्य - मन- प्रयोग- परिणत है अथवा यावत् असमारम्भ-सत्य-मन-प्रयोग- परिणत है।
४७. यदि मृषा-मन-प्रयोग-परिणत है तो क्या आरम्भ- मृषा-मन- प्रयोग - परिणत है ?
इस प्रकार जैसे सत्य मन प्रयोग- परिणत की वक्तव्यता है वैसे ही मृषा-मन- प्रयोग - परिणत की वक्तव्यता । इसी प्रकार सत्य - मृषा - मन प्रयोग- परिणत की और इसी प्रकार असत्यमृषा- मन- प्रयोग- परिणत की वक्तव्यता ।
वचन - प्रयोग - परिणति पद
४८. यदि वचन-प्रयोग- परिणत है तो क्या सत्य वचन-प्रयोग-परिणत है ? मृषा वचन-प्रयोग- परिणत है ?
इस प्रकार जैसे मन प्रयोग परिणत की वक्तव्यता वैसे वचन प्रयोग - परिणत की भी वक्तव्यता यावत् अथवा असमारम्भ - सत्य वचन - प्रयोग - परिणत है।
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