Book Title: Bhagwati Sutra Part 01
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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भगवती सूत्र
श. ८ : उ. २ : सू. ९३-९५ तिर्यग्योनिक-कर्म-आशीविष है, अपर्याप्त-संख्येय-वर्ष-आयुष्य वाले गर्भावक्रान्तिकपंचेन्द्रिय-तिर्यग्योनिक-कर्म-आशीविष नहीं है। ९४. यदि मनुष्य-कर्म-आशीविष है तो क्या संमूर्च्छिम-मनुष्य-कर्म-आशीविष है? अथवा गर्भावक्रान्तिक-मनुष्य-कर्म-आशीविष है? गौतम! संमूर्च्छिम-मनुष्य कर्म-आशीविष नहीं है, गर्भावक्रान्तिक-मनुष्य कर्म-आशीविष है। इस प्रकार जैसी पण्णवणा (२१/५४) में मनुष्य-पंचेन्द्रिय-वैक्रिय-शरीर की वक्तव्यता है वैसे ही यहां वक्तव्य है यावत् पर्याप्त-संख्येय-वर्ष-आयुष्य वाला कर्मभूमिज-गर्भावक्रान्तिक-मनुष्य-कर्म-आशीविष है, अपर्याप्त-संख्येय-वर्ष-आयुष्य वाला कर्मभूमिज-गर्भावक्रान्तिक-मनुष्य-कर्म-आशीविष नहीं है। ९५. यदि देव-कर्म-आशीविष है तो क्या भवनवासी-देव-कर्म-आशीविष है यावत् वैमानिक-देव-कर्म-आशीविष है? गौतम! भवनवासी-देव-कर्म-आशीविष है, वानमन्तर-, ज्योतिष्क- और वैमानिक-देव-कर्म-आशीविष भी हैं। यदि भवनवासी-देव-कर्म-आशीविष है तो क्या असुरकुमार-भवनवासी-देव-कर्म-आशीविष है यावत् स्तनितकुमार-भवनवासी-देव-कर्म-आशीविष है? गौतम! असुरकुमार-भवनवासी-देव-कर्म-आशीविष भी है यावत् स्तनितकुमार-भवनवासी-देव-कर्म-आशीविष भी है। यदि असुरकुमार-भवनवासी-देव-कर्म-आशीविष है तो क्या पर्याप्त-असुरकुमार-भवनवासी-देव-कर्म-आशीविष है? अथवा अपर्याप्त-असुरकुमार-भवनवासी-देव-कर्म-आशीविष है? गौतम! पर्याप्त-असुरकुमार-भवनवासी-देव-कर्म-आशीविष नहीं है, अपर्याप्त-असुरकुमार-भवनवासी-देव कर्म-आशीविष है। इस प्रकार यावत् स्तनितकुमार की वक्तव्यता। यदि वानमन्तर-देव-कर्म-आशीविष हैं तो क्या पिशाच-वानमन्तर-देव-कर्म-आशीविष है? इस प्रकार सब अपर्याप्तक-वानमन्तर-देवों की वक्तव्यता। सब अपर्याप्तक-ज्योतिष्क-देवों की वक्तव्यता। यदि वैमानिक-देव-कर्म-आशीविष है तो क्या कल्पोपग-वैमानिक-देव-कर्म-आशीविष है? अथवा कल्पातीतग-वैमानिक-देव-कर्म-आशीविष है? गौतम! कल्पोपग-वैमानिक-देव-कर्म-आशीविष है, कल्पातीतग-वैमानिक-देव-कर्म-आशीविष नहीं है। यदि कल्पोपग-वैमानिक-देव कर्म-आशीविष है तो क्या सौधर्म-कल्पोपग-वैमानिक-देव-कर्म-आशीविष यावत् अच्युत-कल्पोपग-वैमानिक-देव-कर्म-आशीविष है? गौतम! सौधर्म-कल्पोपग-वैमानिक-देव-कर्म-आशीविष भी है यावत् सहस्रार-कल्पोपगवैमानिक-देव-कर्म-आशीविष भी है आनत-कल्पोपग-वैमानिक-देव-कर्म-आशीविष नहीं है यावत् अच्युत-कल्पोपग-वैमानिक-देव कर्म-आशीविष नहीं है।
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