Book Title: Bhagwati Sutra Part 01
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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भगवती सूत्र
उत्कृष्टतः असंख्येय काल है। यह है बंधन - प्रत्ययिक |
३५२. वह भाजन- प्रत्ययिक क्या है ?
भाजन - प्रत्ययिक – जीर्ण सुरा, जीर्ण गुड़, जीर्ण तंदुलों का भाजन- प्रत्यय के कारण जो बंध उत्पन्न होता है, वह भाजन प्रत्ययिक है। इसका कालमान जघन्यतः एक समय, उत्कृष्टतः असंख्य काल है । यह है भाजन- प्रत्ययिक |
श. ८ : उ. ९ : सू. ३५१-३५८
३५३. वह परिणाम-प्रत्ययिक क्या है ? परिणाम - प्रत्ययिक - अभ्र, अभ्रवृक्ष जैसे-तीसरे शतक (३/२५३) में यावत् अमोघा का परिणाम - प्रत्यय के कारण जो बंध उत्पन्न होता है, वह परिणाम-प्रत्ययिक है। इसका कालमान जघन्यतः एक समय, उत्कृष्टतः छह मास है । यह है परिणाम-प्रत्ययिक। यह है सादिक - विस्रसा - बंध ! यह है विस्रसा-बंध ।
३५४. वह प्रयोग-बंध क्या है ?
प्रयोग-बंध तीन प्रकार का प्रज्ञप्त है, जैसे- अनादिक - अपर्यवसित, सादिक-अपर्यवसित, सादिक-सपर्यवसित ।
जीव के आठ मध्य-प्रदेशों का बंध अनादिक-अपर्यवसित है, जीव के उन आठ मध्य प्रदेशों में तीन-तीन प्रदेशों का एक-एक प्रदेश के साथ होने वाला बंध अनादिक - अपर्यवसित है । शेष प्रदेशों का बंध सादिक है । सिद्धों के जीव- प्रदेशों का बंध सादिक - अपर्यवसित है । सादिक-सपर्यवसित बंध चार प्रकार का प्रज्ञप्त है जैसे-आलापन-बंध, आलीनकरण-बंध, शरीर बंध, शरीर - प्रयोग - बंध |
आलापन की अपेक्षा
३५५. वह आलापन-बंध क्या है ?
आलापन - बंध तृण, काष्ठ, पत्र और पलाल के समूह, वेत्रलता, छाल, चर्म, रज्जु, सन आदि की रज्जु, ककड़ी आदि की बेल, कुश, डाभ और चीवर आदि से बांधना आलापन - बंध है । इसका कालमान जघन्यतः अन्तमुहूर्त्त, उत्कृष्टतः संख्येय काल है । यह है-आलापन - बंध । आलीनकरण-बंध की अपेक्षा
३५६. वह आलीनकरण-बंध क्या है ?
आलीनकरण - बंध चार प्रकार का प्रज्ञप्त है, जैसे- श्लेष - बंध, उच्चय-बंध, समुच्चय- -बंध, संहनन बंध |
३५७. वह श्लेष - बंध क्या है ?
श्लेष - बंध- भित्ति, मणि, प्रांगण, स्तंभ, प्रासाद, काठ, चर्म, घट, पट और कट का चूना, चिकनी मिट्टी, श्लेष, लाख, मोम आदि श्लेष - द्रव्यों से जो बंध होता है, वह श्लेष - बंध है । इसका कालमान जघन्यतः अन्तर्मुहूर्त्त, उत्कृष्टतः संख्येय काल है । यह है श्लेष - बंध |
३५८. वह उच्चय-बंध क्या है ?
उच्चय-बंध-तृण, काठ, पत्र, तुष, भूषा, गोबर और कचरे की राशि (ढेर या पुंज) की जाती
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