Book Title: Bhagwati Sutra Part 01
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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भगवती सूत्र
श. ८: उ. ९: सू. ३६६-३७२ शरीर-प्रयोग की अपेक्षा ३६६. वह शरीर-प्रयोग-बंध क्या है?
शरीर-प्रयोग-बंध पांच प्रकार का प्रज्ञप्त है, जैसे-औदारिक-शरीर-प्रयोग-बंध, वैक्रिय-शरीर-प्रयोग-बंध, आहारक-शरीर-प्रयोग-बंध, तैजस-शरीर-प्रयोग-बंध, कर्म-शरीर-प्रयोग-बंध । औदारिक-शरीर-प्रयोग की अपेक्षा ३६७. भंते! औदारिक-शरीर-प्रयोग-बंध कितने प्रकार का प्रज्ञप्त है? गौतम! औदारिक-शरीर-प्रयोग-बंध पांच प्रकार का प्रज्ञप्त है, जैसे-एकेन्द्रिय-औदारिक-शरीर-प्रयोग-बंध, द्वीन्द्रिय-औदारिक-शरीर-प्रयोग-बंध यावत् पंचेन्द्रिय-औदारिक-शरीर
-प्रयोग-बंध। ३६८. भंते! एकेन्द्रिय-औदारिक-शरीर-प्रयोग-बंध कितने प्रकार का प्रज्ञप्त है? गौतम! एकेन्द्रिय-औदारिक-शरीर-प्रयोग-बंध पांच प्रकार का प्रज्ञप्त है, जैसेपृथ्वीकायिक-एकेन्द्रिय-औदारिक-शरीर-प्रयोग-बंध इस प्रकार इस अभिलाप के अनुसार एकेन्द्रिय-औदारिक-शरीर-प्रयोग-बंध के भेद पण्णवणा के अवगाहना-संस्थान नामक पद (२१/३२०) में वर्णित औदारिक-शरीर की भांति वक्तव्य हैं यावत् पर्याप्तक-गर्भावक्रांतिक-मनुष्य-पंचेन्द्रिय-औदारिक-शरीर-प्रयोग-बंध, अपर्याप्तक-गर्भावक्रांतिक-मनुष्य-पंचेन्द्रिय-औदारिक-शरीर-प्रयोग-बंध । ३६९. भंते! औदारिक-शरीर-प्रयोग-बंध किस कर्म के उदय से होता है? गौतम! औदारिक-शरीर-प्रयोग-बंध के तीन हेतु हैं१. वीर्य-सयोग-सद्र्व्यता-वीर्य-योग तथा तथाविध पुद्गल-सामग्री। २. प्रमाद-प्रमाद-हेतुक। ३. कर्म-(एकेन्द्रिय-जाति आदि का उदयवर्ती कर्म), योग, (काय आदि योग) भव (तिर्यंच आदि का अनुभूयमान जन्म) और आयुष्य(उदयवर्ती आयुष्य)-सापेक्ष औदारिक-शरीर-प्रयोग-नाम-कर्म का उदय । ३७०.भंते! एकन्द्रिय-औदारिक-शरीर-प्रयोग-बंध किस कर्म के उदय से होता है? औदारिक
-शरीर-प्रयोग-बंध की भांति वक्तव्यता। इसी प्रकार पृथ्वीकायिक-एकेन्द्रिय-औदारिक-शरीर-प्रयोग-बंध की वक्तव्यता यावत् वनस्पतिकायिक-एकेन्द्रिय-औदारिक-शरीर-प्रयोग-बंध की वक्तव्यता। इसी प्रकार द्वीन्द्रिय-, त्रीन्द्रिय- और चतुरिन्द्रिय-औदारिक-शरीरप्रयोग--बंध की वक्तव्यता। ३७१. भंते! तिर्यग्योनिक-पंचेन्द्रिय-औदारिक-शरीर-प्रयोग-बंध किस कर्म के उदय से होता
औदारिक-शरीर-प्रयोग-बंध की भांति वक्तव्यता। ३७२. भंते! मनुष्य-पंचेन्द्रिय-ओदारिक-शरीर-प्रयोग-बंध किस कर्म के उदय से होता है?
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