Book Title: Bhagwati Sutra Part 01
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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श. ८ : उ. १ : सू. ४९-५४
भगवती सूत्र काय-प्रयोग-परिणति-पद ४९. यदि काय-प्रयोग-परिणत है तो क्या औदारिक-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है?
औदारिक-मिश्र-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है? वैक्रिय-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है? वैक्रिय-मिश्र-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है? आहारक-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है? आहरक-मिश्र-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है? कर्म-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है? गौतम! औदारिक-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है अथवा यावत् कर्म-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है। ५०. यदि औदारिक-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है तो क्या एकेन्द्रिय-औदारिक-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है? यावत् पंचेन्द्रिय-औदारिक-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है? गौतम! एकेन्द्रिय-औदारिक-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है अथवा यावत् पंचेन्द्रिय-औदारिक-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है। ५१. यदि एकेन्द्रिय-औदारिक-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है तो क्या पृथ्वीकायिक-एकेन्द्रिय-औदारिक-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है? यावत् वनस्पतिकायिक-एकेन्द्रिय-औदारिक-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है? गौतम! पृथ्वीकायिक-एकेन्द्रिय-औदारिक-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है अथवा यावत् वनस्पतिकायिक-एकेन्द्रिय-औदारिक-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है। ५२. यदि पृथ्वीकायिक-एकेन्द्रिय-औदारिक-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है तो क्या सूक्ष्म
-पृथ्वीकायिक-एकेन्द्रिय-औदारिक-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है? बादर-पृथ्वीकायिक-एकेन्द्रिय-औदारिक-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है? गौतम! सूक्ष्म-पृथ्वीकायिक-एकेन्द्रिय-औदारिक-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है अथवा बादर-पृथ्वीकायिक-एकेन्द्रिय-औदारिक-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है। ५३. यदि सूक्ष्म-पृथ्वीकायिक-एकेन्द्रिय-औदारिक-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है तो क्या पर्याप्त-सूक्ष्म-पृथ्वीकायिक-एकेन्द्रिय-औदारिक-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है? अथवा
अपर्याप्त-सूक्ष्म-पृथ्वीकायिक-एकेन्द्रिय-औदारिक-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है? गौतम! वह पर्याप्त-सूक्ष्म-पृथ्वीकायिक-एकेन्द्रिय-औदारिक-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है, अपर्याप्त-सूक्ष्म-पृथ्वीकायिक-एकेन्द्रिय-औदारिक-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है। इसी प्रकार बादर-पृथ्वीकायिक-एकेन्द्रिय-औदारिक-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत की वक्तव्यता। इसी प्रकार यावत् वनस्पतिकायिक के चार-चार भेदों की वक्तव्यता। द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय और
चतुरिन्द्रिय के दो-दो भेद पर्याप्तक और अपर्याप्तक की वक्तव्यता। ५४. यदि पंचेन्द्रिय-औदारिक-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है तो क्या तिर्यग्योनिक-पंचेन्द्रिय
-औदारिक-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है? अथवा मनुष्य-पंचेन्द्रिय-औदारिक-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है? गौतम! तिर्यग्योनिक-पंचेन्द्रिय-औदारिक-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है अथवा मनुष्य
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