Book Title: Bhagwati Sutra Part 01
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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भगवती सूत्र
श. ८ : उ. १ : सू. ५४-६० -पंचेन्द्रिय-औदारिक-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है। ५५. यदि तिर्यक्योनिक-पंचेन्द्रिय-औदारिक-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है तो क्या जलचर-तिर्यक्योनिक-औदारिक-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है? अथवा स्थलचर-खेचर-तिर्यक्योनिक-पंचेन्द्रिय-औदारिक-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है? गौतम! इस प्रकार तिर्यक्योनिक-पंचेन्द्रिय-औदारिक-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत यावत् खेचर
के चार-चार भेदों की वक्तव्यता। ५६. यदि मनुष्य-पंचेन्द्रिय-औदारिक-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है तो क्या संमूर्च्छिम-मनुष्य-पंचेन्द्रिय-औदारिक-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है? अथवा गर्भावक्रान्तिक-मनुष्य-पंचेन्द्रिय-औदारिक-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है? गौतम! दोनों ही मनुष्य-पंचेन्द्रिय-औदारिक-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत हैं। ५७. यदि गर्भावक्रान्तिक-मनुष्य-पंचेन्द्रिय-औदारिक-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है तो क्या पर्याप्त-गर्भावक्रान्तिक-मनुष्य-पंचेन्द्रिय-औदारिक-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है? अथवा अपर्याप्त-गर्भावक्रान्तिक-मनुष्य-पंचेन्द्रिय-औदारिक-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है? गौतम! पर्याप्त-गर्भावक्रान्तिक-मनुष्य-पंचेन्द्रिय-औदारिक-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है
अथवा अपर्याप्त-गर्भावक्रान्तिक-मनुष्य-पंचेन्द्रिय-औदारिक-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है। ५८. यदि औदारिक-मिश्र-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है तो क्या एकेन्द्रिय-औदारिक-मिश्र
-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है? द्वीन्द्रिय-औदारिक-मिश्र-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है? यावत् पंचेन्द्रिय-औदारिक-मिश्र-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है? गौतम! एकेन्द्रिय-औदारिक-मिश्र-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है। इस प्रकार जैसे औदारिक-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत का आलापक कहा गया है वैसे ही औदारिक-मिश्र-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत का आलापक वक्तव्य है। केवल इतना विशेष है-बादर-वायुकायिक, गर्भावक्रान्तिक-पंचेन्द्रिय-तिर्यग्योनिक और गर्भावक्रान्तिक-मनुष्य-ये पर्याप्तक, अपर्याप्तक दोनों तथा शेष सभी केवल अपर्याप्तक होते हैं। ५९. यदि वैक्रिय-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है तो क्या एकेन्द्रिय-वैक्रिय-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है? अथवा पंचेन्द्रिय-वैक्रिय-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है? गौतम! एकेन्द्रिय-वैक्रिय-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है अथवा पंचेन्द्रिय-वैक्रिय-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है। ६०. यदि एकेन्द्रिय-वैक्रिय-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है तो क्या वायुकायिक-एकेन्द्रिय
-वैक्रिय-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है? अथवा अवायुकायिक-एकेन्द्रिय-वैक्रिय-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है? गौतम! वायुकायिक-एकेन्द्रिय-वैक्रिय-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत है, अवायुकायिक-एकेन्द्रिय-वैक्रिय-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत नहीं है। इस प्रकार इस वायुकाय के अभिलाप के अनुसार जैसी अवगाहना-संस्थान नामक पण्णवणा के २१वें पद में वैक्रिय-शरीर की
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