Book Title: Bhagwati Sutra Part 01
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
View full book text
________________
आठवां शतक
पहला उद्देशक संग्रहणी गाथा
आठवें शतक के दस उद्देशक हैं-१. पुद्गल २. आशीविष ३. वृक्ष ४. क्रिया ५. आजीवक ६. प्रासुक ७. अदत्त ८. प्रत्यनीक ९. बन्ध १०. आराधना। पुद्गल-परिणति-पद १. राजगृह नगर में भगवान् का समवसरण यावत् गौतम ने इस प्रकार कहा-भन्ते! पुद्गल कितने प्रकार के प्रज्ञप्त हैं। गौतम! पुद्गल तीन प्रकार के प्रज्ञप्त हैं, जैसे-प्रयोग-परिणत, मिश्र-परिणत, विस्रसा-परिणत । प्रयोग-परिणति-पद २. भन्ते! प्रयोग-परिणत पुद्गल कितने प्रकार के प्रज्ञप्त हैं? गौतम! पांच प्रकार के प्रज्ञप्त हैं, जैसे-एकेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत, द्वीन्द्रिय-प्रयोग-परिणत, त्रीन्द्रिय-प्रयोग-परिणत, चतुरिन्द्रिय-प्रयोग-परिणत और पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत । ३. भन्ते! एकेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल कितने प्रकार के प्रज्ञप्त हैं? गौतम! पांच प्रकार के प्रज्ञप्त हैं, जैसे-पृथ्वीकायिक-एकेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत, अप्कायिक-एकेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत, तैजसकायिक-एकेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत, वायुकायिक-एकेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत और वनस्पतिकायिक-एकेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत । ४. भन्ते! पृथ्वीकायिक-एकेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल कितने प्रकार के प्रज्ञप्त हैं?
गौतम! दो प्रकार के प्रज्ञप्त हैं, जैसे-सूक्ष्म-पृथ्वीकायिक-एकेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत और बादर-पृथ्वीकायिक-एकेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत। अप्कायिक-एकेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पृथ्वीकायिक-एकेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत की भांति वक्तव्य हैं। इसी प्रकार तैजसकाय यावत् वनस्पतिकाय के सूक्ष्म और बादर इन दो भेदों की वक्तव्यता। ५. द्वीन्द्रिय-प्रयोग-परिणत की पृच्छा। गौतम! द्वीन्द्रिय-प्रयोग-परिणत अनेक प्रकार के प्रज्ञप्त हैं। इसी प्रकार त्रीन्द्रिय-चतुरिन्द्रिय
-प्रयोग-परिणत भी अनेक प्रकार के प्रज्ञप्त हैं। ६. पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत की पृच्छा।
२६०