Book Title: Bhagwati Sutra Part 01
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
View full book text
________________
भगवती सूत्र
श. १ : उ. ६ : सू. ३०३-३११ ३०३. भन्ते! क्या पहले सातवां अवकाशान्तर और फिर सातवां तनुवात बना? क्या पहले सातवां तनुवात और फिर सातवां अवकाशान्तर बना?
रोह ! सातवां अवकाशान्तर और सातवां तनुवात पहले भी थे और आगे भी होंगे। ये दोनों शाश्वत भाव हैं। रोह! यह अनानुपूर्वी है-सातवें अवकाशान्तर और सातवें तनुवात में पूर्वपश्चात् का क्रम नहीं है। ३०४. इस प्रकार सातवें अवकाशान्तर की तनुवात से लेकर सर्व-काल तक के सब पदों के
साथ संयोजना करणीय है। ३०५. भन्ते! क्या पहले सातवां तनुवात और फिर सातवां घनवात बना? क्या पहले सातवां घनवात और फिर सातवां तनुवात बना? रोह ! सातवां तनुवात और सातवां घनवात पहले भी थे और आगे भी होंगे। ये दोनों शाश्वत भाव हैं। रोह! यह अनानुपूर्वी है-सातवें तनुवात और सातवें घनवात में पूर्व-पश्चात् का क्रम नहीं है। ३०६. इस प्रकार तनुवात के साथ सर्वकाल तक के सब पदों की संयोजना ज्ञातव्य है। ३०७. इस प्रकार अगले प्रत्येक पद की संयोजना करते जाएं और जो-जो पहला पद है उसे छोड़ते चले जाएं यावत् अतीत- और अनागत-काल पश्चात् सर्व-काल यावत् रोह! अनागत-काल और सर्व-काल पहले भी थे और आगे भी होंगे। ये दोनों शाश्वत भाव हैं। रोह! यह अनानुपूर्वी है। ३०८. भन्ते! वह ऐसा ही है, भन्ते! वह ऐसा ही है-इस प्रकार मुनि रोह यावत् संयम और तप
से अपने आप को भावित करता हुआ विहरण कर रहा है। लोकस्थिति-पद ३०९. भगवान् गौतम श्रमण भगवान् महावीर को 'भन्ते' इस संबोधन से संबोधित कर इस
प्रकार बोले३१०. भन्ते! लोक-स्थिति कितने प्रकार की प्रज्ञप्त है?
गौतम ! लोक-स्थिति आठ प्रकार की प्रज्ञप्त है, जैसे-१. वायु आकाश पर प्रतिष्ठित है। २. समुद्र वायु पर प्रतिष्ठित है। ३. पृथ्वी समुद्र पर प्रतिष्ठित है। ४. त्रस ओर स्थावर प्राणी पृथ्वी पर प्रतिष्ठित हैं। ५. अजीव जीव पर प्रतिष्ठित हैं। ६. जीव कर्म से प्रतिष्ठित हैं। ७.
अजीव जीव के द्वारा संगृहीत हैं। ८. जीव कर्म के द्वारा संगृहीत हैं। ३११. भन्ते! यह किस अपेक्षा से कहा जा रहा है-लोक-स्थिति आठ प्रकार की प्रज्ञप्त है यावत् जीव कर्म के द्वारा संगृहीत हैं? गौतम ! जैसे कोई पुरुष किसी मशक में हवा भरता है, उसमें हवा भरकर ऊपर (मुंह के स्थान पर) गांठ देता है। फिर मशक के मध्य भाग में गांठ लगाता है, वहां गांठ लगाकर ऊपर की गांठ को खोलता है। उसे खोलकर ऊपर के भाग की हवा को बाहर निकाल देता है। उसे निकाल कर ऊपर के भाग को जल से भरता है। उसे जल से भरकर ऊपर गांठ देता है, वहां गांठ देकर फिर
३९