Book Title: Bhagwati Sutra Part 01
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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भगवती सूत्र
भाव की अपेक्षा से अवर्ण, अगन्ध, अरस और अस्पर्श है ।
गुण की अपेक्षा से अवगाहन-गुण वाला है।
१२८. भन्ते ! जीवास्तिकाय में कितने वर्ण हैं? कितने गन्ध हैं? कितने रस हैं? कितने स्पर्श
हैं ?
श. २ : उ. १० : सू. १२७-१३१
गौतम ! वह अवर्ण, अगन्ध, अरस, अस्पर्श; अरूपी, जीव, शाश्वत, अवस्थित तथा लोक का एक अंशभूत द्रव्य है ।
वह संक्षेप में पांच प्रकार का प्रज्ञप्त है, जैसे- द्रव्य की अपेक्षा से, क्षेत्र की अपेक्षा से, काल की अपेक्षा से, भाव की अपेक्षा से और गुण की अपेक्षा से ।
द्रव्य की अपेक्षा से जीवास्तिकाय अनन्त जीव- द्रव्य है ।
क्षेत्र की अपेक्षा से लोक - प्रमाणमात्र है ।
काल की अपेक्षा से कभी नहीं था - ऐसा नही है, कभी नहीं है ऐसा नहीं है, कभी नहीं होगा—ऐसा नहीं है—वह अतीत में था, वर्तमान में है और भविष्य में रहेगा - अतः वह ध्रुव, नियत, शाश्वत, अक्षय अव्यय, अवस्थित और नित्य है ।
भाव की अपेक्षा से अवर्ण, अगन्ध, अरस और अस्पर्श I
गुण की अपेक्षा से उपयोग गुण वाला है ।
१२९. भन्ते ! पुद्गलास्तिकाय में कितने वर्ण हैं? कितने गन्ध हैं? कितने रस हैं? कितने स्पर्श हैं ?
गौतम ! उसमें पांच वर्ण, पांच रस, दो गन्ध और आठ स्पर्श हैं ;
वह रूपी, अजीव, शाश्वत, अवस्थित तथा लोक का एक अंशभूत द्रव्य है । वह संक्षेप में पांच प्रकार का प्रज्ञप्त है, जैसे-द्रव्य की अपेक्षा से, क्षेत्र की अपेक्षा से, काल की अपेक्षा से, भाव की अपेक्षा से और गुण की अपेक्षा से ।
द्रव्य की अपेक्षा से पुद्गलास्तिकाय अनन्त द्रव्य क्षेत्र की अपेक्षा से लोक प्रमाण मात्र है।
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काल की अपेक्षा से कभी नहीं था - ऐसा नही है, कभी नहीं है ऐसा नहीं है, कभी नहीं होगा - ऐसा नहीं है - वह अतीत में था, वर्तमान में है और भविष्य में रहेगा अतः वह ध्रुव, नियत, शाश्वत, अक्षय, अव्यय, अवस्थित और नित्य है ।
भाव की अपेक्षा से वर्णवान्, गन्धवान्, रसवान् और स्पर्शवान् है ।
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गुण की अपेक्षा से ग्रहणगुण-समुदित होने की योग्यता वाला
है। 1
१३०. भन्ते ! क्या धर्मास्तिकाय के एक प्रदेश को धर्मास्तिकाय कहा जा सकता है ?
गौतम ! यह अर्थ संगत नहीं है।
नौ,
१३१. भन्ते ! क्या इसी प्रकार धर्मास्तिकाय के दो, तीन, चार, पांच, छह, सात, आठ, दस, संख्येय और असंख्येय प्रदेशों को धर्मास्तिकाय कहा जा सकता है ?
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