Book Title: Bhagwati Sutra Part 01
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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भगवती सूत्र
श. १ : उ. ३ : सू. १३३-१३९ हां, गौतम ! अस्तित्व अस्तित्व में परिणत होता है और नास्तित्व नास्तित्व में परिणत होता
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१३४. भन्ते ! जो अस्तित्व अस्तित्व में परिणत होता है और नास्तित्व नास्तित्व में परिणत होता है, वह किसी प्रयोग से होता है अथवा स्वभाव से ?
गौतम ! वह प्रयोग से भी होता है ( अस्तित्व अस्तित्व में परिणत होता है और नास्तित्व नास्तित्व में परिणत होता है) ।
वह स्वभाव से भी होता है (अस्तित्व अस्तित्व में परिणत होता है और नास्तित्व नास्तित्व में परिणत होता है) ।
१३५. भन्ते ! जैसे तुम्हारा अस्तित्व अस्तित्व में परिणत होता है, वैसे ही क्या तुम्हारा नास्तित्व नास्तित्व में परिणत होता है ?
जैसे तुम्हारा नास्तित्व नास्तित्व में परिणत होता है, वैसे ही क्या तुम्हारा अस्तित्व अस्तित्व में परिणत होता है ?
हां, गौतम ! जैसे मेरा अस्तित्व अस्तित्व में परिणत होता है, वैसे ही मेरा नास्तित्व नास्तित्व में परिणत होता है ।
परिणत होता है, वैसे ही मेरा अस्तित्व अस्तित्व में परिणत
१३६. भन्ते ! क्या अस्तित्व अस्तित्व में गमनीय (ज्ञेय) है ? क्या नास्तित्व नास्तित्व में गमनीय है ?
जैसे मेरा नास्तित्व नास्तित्व होता है ।
हां, गौतम ! अस्तित्व अस्तित्व में गमनीय है । नास्तित्व नास्तित्व में गमनीय है I
१३७. भन्ते ! जो अस्तित्व अस्तित्व में गमनीय है और नास्तित्व नास्तित्व में गमनीय है, वह किसी प्रयोग से गमनीय है अथवा स्वभाव से ?
गौतम ! वह प्रयोग से भी ( अस्तित्व अस्तित्व में गमनीय है और नास्तित्व नास्तित्व में गमनीय है) वह स्वभाव से भी ( अस्तित्व अस्तित्व में गमनीय है और नास्तित्व नास्तित्व में गमनीय है) ।
१३८. भन्ते ! जैसे तुम्हारा अस्तित्व अस्तित्व में गमनीय है, वैसे ही क्या तुम्हारा नास्तित्व नास्तित्व में गमनीय है ?
जैसे तुम्हारा नास्तित्व नास्तित्व में गमनीय है, वैसे ही क्या तुम्हारा अस्तित्व अस्तित्व में गमनीय है ?
हां, गौतम ! जैसे मेरा अस्तित्व अस्तित्व में गमनीय है, वैसे ही मेरा नास्तित्व नास्तित्व में गमनीय है।
जैसे मेरा नास्तित्व नास्तित्व में गगनीय है, वैसे ही मेरा अस्तित्व अस्तित्व में गमनीय है। भगवान् की समता का पद
१३९. भन्ते ! जैसे तुम्हारे लिए 'अत्र' (सगीपतरवर्ती पर्याय) गुणनीय है, वैसे ही क्या तुम्हारे
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