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भगवती सूत्र-श. ३ उ. १ तामली के शव की कदर्थना
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रहित था। वह तामली बालतपस्वी पूरे साठ हजार वर्ष तक तापस पर्याय का पालन करके दो महीने की संलेखना से आत्मा को संयुक्त करके एक सौ बीस भक्त अनशन का छेदन करके और काल के अवसर काल करके ईशान देवलोक के ईशानावतंसक विमान की उपपात सभा की देवशय्या-जो कि देववस्त्र से ढकी हुई हैं, उसमें अंगुल के असंख्येय भाग जितनी अवगाहना में ईशान देवलोक के इन्द्र के विरह काल (अनुपस्थिति) में ईशानेन्द्र रूप से उत्पन्न हुआ। तत्काल उत्पन्न हुआ वह देवेन्द्र देवराज ईशान, पांच प्रकार की पर्याप्तियों से पर्याप्त बना । अर्थात् १ आहार पर्याप्ति २ शरीर पर्याप्ति ३ इन्द्रिय पर्याप्ति ४ श्वासोच्छ्वास पर्याप्ति और ५ भाषा मनःपर्याप्ति (देवों के भाषा और मनःपर्याप्ति शामिल बंधती है इसलिये) इन पांच पर्याप्तियों से पर्याप्त बना।
असुरकुमारों द्वारा तामली के शव की कदर्थना
तएणं ते बलिचंचारायहाणिवत्थव्वया बहवे असुरकुमारा देवा य, देवीओ य तामलिं बालतवस्सिं कालगयं जाणित्ता, ईसाणे य कप्पे देविंदताए उववण्णं पासित्ता आसुरुत्ता, कुविया, चंडिकिया, मिसिमिसेमाणा बलिचंचारायहाणीए मज्झमज्झेणं णिग्गच्छंति, ताए उकिटाए, जाव-जेणेव भारहे वासे, जेणेव तामलित्ती णयरी, जेणेव तामलिस्स बालतवस्सिस्स सरीरए तेणेव उवागच्छंति, वामे पाए सुंबेण बंधति, बंधित्ता तिक्खुत्तो मुहे उठ्ठहति, उठुहिता तामलित्तीए णयरीए सिंघाडग-तिग-चउक्क-चच्चर चउम्मुह-महापहेसु आकड्ढ-विकड्ढि करेमाणा, महया महया सद्देणं
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