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भगवती सूत्र-श. ३ उ. ९ इन्द्रियों के विषय
कठिन शब्दार्थ-अपरिसेसो-सम्पूर्ण ।
भावार्थ-१ प्रश्न-राजगृह नगर में यावत् गौतम स्वामी इस प्रकार बोले-हे भगवन ! इन्द्रियों के विषय कितने प्रकार के कहे गये हैं ?
१ उत्तर-हे गौतम ! इन्द्रियों के विषय पाँच प्रकार के कहे गये हैं। यथा--श्रोत्रेन्द्रिय का विषय, इत्यादि । इस सम्बन्ध में जीवाभिगम सूत्र में कहा हुआ ज्योतिष्क उद्देशक सम्पूर्ण कहना चाहिए।
विवेचन-देवों को अवधिज्ञान होने पर भी उन्हें इन्द्रियों के उपयोग की आवश्यकता रहती है । इसलिए इस नववें उद्देशक में इन्द्रियों के विषयों का निरूपण किया जाता है ।
इन्द्रियों के विषय का कथन करने के लिए जीवाभिगम सूत्र के ज्योतिष्क उद्देशक का अतिदेश (भलामण) किया गया है । वह इस प्रकार है
प्रश्न-हे भगवन् ! श्रोत्रेन्द्रिय के विषय सम्बन्धी पुद्गल परिणाम कितने प्रकार का कहा गया है ?
उत्तर-हे गौतम ! दो प्रकार का कहा गया है। यथा-शुभ शब्द परिणाम और भशुभ शब्द परिणाम।
प्रश्न-हे भगवन् ! चक्षु इन्द्रिय के विषय सम्बन्धी पुद्गल परिणाम कितने प्रकार का कहा गया है ?
उत्तर--हे गौतम ! दो प्रकार का कहा गया है । यथा-सुरूप परिणाम और दूरूप परिणाम।
प्रश्न-हे भगवन् ! घ्राणेन्द्रिय के विषय सम्बन्धी पुद्गल परिणाम कितने प्रकार का कहा गया है ?
उत्तर-हे गौतम ! दो प्रकार का कहा गया है । यथा-सुरभिगन्ध परिणाम और दुरभिगन्ध परिणाम ।
प्रश्न-हे भगवन् ! रसनेन्द्रिय के विषय सम्बन्धी पुद्गल परिणाम कितने प्रकार का कहा गया है ? . उत्तर-हे गौतम ! दो प्रकार का कहा गया है । यथा-सुरस परिणाम और दूरस परिणाम । . प्रश्न-हे भगवन् ! स्पर्शनेन्द्रिय के विषय सम्बन्धी पुद्गल परिणाम कितने प्रकार का कहा गया है ?
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