Book Title: Bhagvati Sutra Part 02
Author(s): Ghevarchand Banthiya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 555
________________ १०७२ भगवती सूत्र-श. ६ उ. १. अभ्यधिक और जीवों का सुख दुःख अन्ययूथिक और जीवों का सुख दुःख ९ प्रश्न-अण्णउत्थिया णं भंते ! एवं आइपखंति, जाव-परू. वेंति एवं खलु सब्वे पाणा, भूया, जीवा, सत्ता एगंतदुक्खं वेयणं वेयंति, से कहमेयं भंते ! एवं ? ९ उत्तर-गोयमा ! जं णं ते अण्णउत्थिया, जाव-मिच्छं ते एवं आहंसु, अहं पुण गोयमा ! एवं आइक्खामि, जाव-परूवेमि अत्थेगइया पाणा, भया, जीवा, सत्तार एगंतदुक्खं वेषणं वेयंति, आहच्च सायं; अत्थेगइया पाणा, भूया, जीवा सत्ता एगंतसायं वेयणं वेयंति, आहच्च अस्सायं वेयणं वेयंति; अत्थेगइया पाणा, भया, जीवा, सत्ता वेमायाए वेयणं वेयंति, आहन्च सायमसायं । __१० प्रश्न-से केणटेणं ? १० उत्तर-गोयमा ! णेरइया एगंतदुक्खं वेयणं वेयंति आहच्च सायं, भवणवइ-वाणमंतर जोइस-वेमाणिया एगंतसायं वेयणं वेवंति, आहच असाय; पुढविक्काइया, जाव-मणुस्सा वेमायाए वेयर्ण वेयंति, आहच्च सायमसायं-से तेणद्वेणं। . . कठिन शग्दार्थ-आहश्च-कदाचित्, वेमायाए-विमात्रा से-कभी कुछ कभी कुछ । - भावार्थ-९ प्रज-हे भगवन् ! अन्यनीथिक इस प्रकार कहते हैं, यावत् प्ररूपणा करते हैं कि सभी प्राण, भूत, जीव और सत्त्व, एकांत दुःसा कम वेदना को Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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