Book Title: Bhagvati Sutra Part 02
Author(s): Ghevarchand Banthiya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 553
________________ १.७० भगवती सूत्र-श. ६ उ. १० जीव और प्राण... जीवइ, सिय णो जीवइ । ७ प्रश्न-जीवइ भंते ! णेरइए, णेरइए जीवइ ? ७ उत्तर-गोयमा ! णेरइए ताव णियमा जीवइ, जीवइ- पुण सिय णेरइए, सिय अणेरइए, एवं दंडओ णेयन्वो, जाव-वेमाणि याणं। प्रश्न-भवसिद्धिए णं भंते ! गैरइए, गेरइए भवसिद्धिए ? ८ उत्तर-गोयमा ! भवसिद्धिए सिय गैरइए, सिय अणेरइए; णेरइए वि य सिय भवसिद्धिए, सिय अभवसिद्धिए; एवं दंडओ, जाव-वेमाणियाणं। कठिन शब्दार्थ-जीवइ-जीता है, सिय-कदाचित् । भावार्थ-३ प्रश्न-हे भगवन् ! क्या जीव चैतन्य है, या चैतन्य जीव है ? ३ उत्तर-हे गौतम ! जीव, नियमा जीव (चैतन्य ) है और जीव (चैतन्य) भी नियमा जीव है। . ४ प्रश्न-हे भगवन् ! क्या जीव नरयिक है, या नैरयिक जीव है ? .४ उत्तर-हे गौतम ! नैरयिक तो नियमा जीव है और जीव तो नरयिक भी होता है, तथा अनरयिक भी होता है। ५ प्रश्न-हे भगवन् ! क्या जीव, असुरकुमार है, या असुरकुमार जीव है ? ५ उत्तर-हे गौतम ! असुरकुमार तो नियमा जीव है और जीव तो असुरकुमार भी होता है तथा असुरकुमार नहीं भी होता है। इस प्रकार वैमा. निक तक सभी दण्डक कहने चाहिये। ६ प्रश्न-हे भगवन् ! क्या - जो जीता है-प्राण धारण करता है, वह जीव कहलाता है, या जो जीव है, वह जीता है-प्राण धारण करता है ? ६ उत्तर-हे गौतम ! जो जीता है-प्राण धारण करता है वह नियमा Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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