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भगवती सूत्र-श. ५ उ. ४ शब्द श्रवण
के शब्द, पोता (बडी काहली) के शब्द, परिपरिता (परिपरिका-सुअर के मुख से मढ़े हुए मुख वाला एक प्रकार का बाजा), पणव (ढोल) के शब्द, पटह (ढोलकी) के शब्द, भंभा (ढक्का-छोटी भेरी) के शब्द, होरम्भ (एक प्रकार का बाजा) के शब्द, भेरी के शब्द, झल्लरी (झालर) के शब्द, दुंदुभि के शब्द, तत शब्द (तांत वाला बाजा-वीगा आदि के शब्द) वितत शब्द (ढोल आदि विस्तृत बाजे के शब्द), घन शब्द (ठोस बाजे के शब्द-कांस्य और ताल आदि बाजे के शब्द),शषिर शब्द (पोले बाजे के शब्द, बंशी-बांसुरी आदि के शब्द) इत्यादि बाजों के शब्दों को क्या छद्मस्थ मनुष्य सुनता है ?
१ उत्तर-हाँ, गौतम ! छद्मस्थ मनुष्य, बजाये जाते हुए शंख यावत् शुषिर (बांसुरी) आदि सभी बाजों के शब्दों को सुनता है ।
२ प्रश्न-हे भगवन् ! क्या वह छद्मस्थ मनुष्य, स्पृष्ट (कान के साथ स्पर्श किये हुए) शब्दों को सुनता है, अथवा अस्पृष्ट (कान के साथ स्पर्श नहीं किये हुए) शब्दों को सुनता है ?
२ उत्तर-हे गौतम ! छद्मस्थ मनुष्य, स्पृष्ट शब्दों को सुनता है, किन्तु अस्पष्ट शब्दों को नहीं सुनता । यावत् नियम से छह दिशा से आये हुए स्पृष्ट शब्दों को सुनता है।
३ प्रश्न-हे भगवन् ! क्या छद्मस्थ मनुष्य, आरगत (आराद्गत-इन्द्रिय विषय के समीप रहे हुए) शब्दों को सुनता है, अथवा पारगत (इन्द्रिय विषय से दूर रहे) शब्दों को सुनता है ? . ३ उत्तर-हे गौतम ! छद्मस्थ मनुष्य, आरगत शब्दों को सुनता है, किन्तु पारगत शब्दों को नहीं सुनता।
४ प्रश्न-हे भगवन् ! जिस प्रकार छद्मस्थ मनुष्य, आरगत शब्दों को सुनता है, और पारगत शब्दों को नहीं सुनता, तो क्या उसी प्रकार केवली मनुष्य भी आरगत शब्दों को सुनता है और पारगत शब्दों को नहीं
सुनता ?
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