Book Title: Bhagvati Sutra Part 02
Author(s): Ghevarchand Banthiya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 516
________________ भगवती सूत्र - श. ६ उ ७ गणनीय कॉल ३ उत्तर - हे गौतम! जिस प्रकार शाली धान्य के लिये कहा, उती प्रकार इनके लिये भी कहना चाहिये । किन्तु इतनी विशेषता है कि इनकी योनि उत्कृष्ट सात वर्ष तक कायम रहती है। शेष वर्णन पहले की तरह कहना चाहिये । विवेचन - छठे उद्देशक में जीव की वक्तव्यता कही गई है। इस सातवें उद्देशक में योनि से सम्बन्धित वक्तव्यता कही जाती है। उपर्युक्त तीन प्रश्नों में शाली आदि धान्यों की योनि के विषय में प्रश्न किया गया, जिसका उत्तर दिया गया कि इन सब धान्यों की योनि जघन्य अन्तर्मुहूर्त की है और उत्कृष्ट शाली आदि की तीन वर्ष कलाय (मटर) आदि की पांच वर्ष और अलसी आदि की सात वर्ष तक योनि कायम रहती है। इसके बाद योनि विध्वस्त हो जाती है । वह बीज अबीज हो जाता है गणनीय काल ४ प्रश्न - एगमेगस्स णं भंते! मुहुत्तस्स केवइया ऊसासद्धा वियाहिया ? १.०३३ ४ उत्तर-गोयमा ! असंखेज्जाणं समयाणं समुदयसमिइ समागमेणं - सा एगा 'आवलिय' त्ति पवुच्चह, संखेज्जा आवलिया ऊसासो, संखेज्जा आवलिया णिस्सासो Jain Education International 'हटुस्स अणवगल्लस्स, णिस्वकिटुस्स जंतुणो । एगे ऊसास-णीसासे, एग पाणु त्ति वुच्च ॥ १ ॥ सत्त पाणि से थोवे, सत्त थोवाइं से लवे । लवाणं सत्तहत्तरिए, एस मुहुत्ते वियाहिए ॥ २ ॥ तिणि सहस्सा सत्त य सयाई, तेवत्तारं च ऊसासा । एस मुहुत्तो दिट्ठो, सव्वेहिं अनंतणाणीहिं ॥ ३ ॥ For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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