Book Title: Bhagvati Sutra Part 02
Author(s): Ghevarchand Banthiya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 525
________________ १०४२ भगवती सूत्र-श. ६ उ. ७ सुषमसुषमा काल पल्योपम का एक 'सूक्ष्म उद्धार सागरोपम' होता है। ढाई सूक्ष्म उद्धार सागरोपम या पच्चीस कोड़ाकोड़ी सूक्ष्म उद्धार पल्योपम में जितने समय होते हैं, उतने ही लोक में द्वीप और समुद्र हैं। अद्धा सागरोपम के भी दो भेद हैं-व्यवहार और सूक्ष्म । दस कोडाकोड़ी व्यवहार अद्धा पल्योपम का एक 'व्यवहार भद्धा सागरोपम' होता है। दस कोड़ाकोड़ी सूक्ष्म भद्धा पल्पोपम का एक 'सूक्ष्म अद्धा सागरोपम' होता है, जीवों की कर्म स्थिति, कायस्थिति और भवस्थिति और आरा का परिमाण सूक्ष्म अद्धा पल्योपम और सूक्ष्म अद्धासागरोपम से मापा जाता है। क्षेत्र सागरोपम के भी दो भेद हैं - व्यवहार और सूक्ष्म । दस कोड़ाकोड़ी व्यवहार क्षत्र पल्योपम का एक 'व्यवहार क्षेत्र सागरोपम' होता है । दस कोडाकोड़ी सूक्ष्म क्षेत्र पल्योपम का एक 'सूक्ष्म क्षेत्र सागरोपम' होता है । सूक्ष्म क्षेत्र पल्योपम से और सूक्ष्म क्षेत्र सागरोपम से दृष्टि वाद में द्रव्य मापे जाते हैं । सुषमसुषमा काल ७ प्रश्न-जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे इमीसे उस्सप्पिणीए सुसमसुसमाए समाए उत्तमट्ठपत्ताए, भरहस्स वासस्स केरिसए आयारभावपडोयारे होत्था ? ___७ उत्तर-गोयमा ! बहुसमरमणिजे भूमिभागे होत्था, से जहा णामए आलिंगपुक्खरे इ वा, एवं उत्तरकुरुवत्तव्वया णेयव्वा जावआसयंति, सयंति; तीसे णं समाए भारहे वासे तत्थ तत्थ देसे देसे तहिं तहिं बहवे उद्दाला कुद्दाला, जाव-कुसविकुसविसुद्धरुक्खमूला, जाव-छविहा मणुस्सा अणुसजित्या । तं जहा-पम्हगंधा, मिय. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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